-कुण्डलियाँ यूँ बोलती है-
1.
बेटा-बेटी एक सम, सौ प्रतिशत है सत्य ।
बेटा अब कमतर लगे, यह भी है कटु तथ्य ।।
यह भी है कटु तथ्य, उच्च शिक्षा वह छोड़े ।
अपने आप हताश, नशा से नाता जोड़े ।
सुन लो कहे ‘रमेश’, हुआ वह अब सप्रेटा ।
बेटी के समकक्ष, लगे कमतर अब बेटा ।।
(सप्रेटा-मक्खन रहित दूध)
2.
दादा-दादी माँ-पिता, भैया-भाभी संग ।
चाचा-चाची और हैं, ज्यों फूलों का रंग ।।
ज्यों फूलों का रंग, बाग को बाग बनाते ।
सब नातों का साथ, एक परिवार कहाते ।।
सुन लो कहे ‘रमेश’, करें खुद से खुद वादा ।
एक रखें परिवार, रहे जिसमें जी दादा ।।
3.
अंधे-बहरे है नहीं, फिर भी रहते मौन ।
नशा नाश का मूल है, जाने यहाँ न कौन ।।
जाने यहाँ न कौन, जहर यह धीमा होता ।
मृत्यु पूर्व ही खाय, पीर सागर वह गोता ।।
सुनलो कहे ‘रमेश’, मूल हैं इसके गहरे ।
तोड़ों इसके जाल, रहो मत अंधे-बहरे ।।
4.
दुनिया सचमुच गोल है, जहाँ समय बलवान ।
कल दहेज के नाम पर, बेटी देती जान ।
बेटी देती जान, लोभियों के फंदों पर ।
बेटे जिंदा लाश, आज झूठे केसों पर ।।
देख रहा ‘चौहान’, आज कानूनी मुनिया ।
कैसे देती मात, गोल है सचमुच दुनिया ।।
5.
कहती शिक्षा स्कूल से, सुन लो मेरी बात ।
भेदभाव को छोड़कर, बांट ज्ञान सौगात ।।
बांट ज्ञान सौगात, लोग होवें संस्कारी ।
मैं तो नहीं बिकाऊ, बनो मत तुम व्यापारी ।।
तेरे इस करतूत, पीर मैं सहती रहती ।
मुझे न कर बदनाम, स्कूल से शिक्षा कहती ।।
6.
पैसा सबको चाहिये, जीवित रखने प्राण ।
काम हमें तो चाहिये, नहीं चाहिये दान ।।
नहीं चाहिये दान, निरिह ना हमें बनायें ।
हाथों में है जान, काम कुछ हमें बतायें ।।
पढ़ा लिखा ‘चौहान’, निठल्ला घूमे कैसे ।
काम बिना ना मान, चाहिये सबको पैसे ।।
7.
बेजाकब्जा गाँव में, गोचर बचा न शेष ।
ट्रेक्टर निगले बैल को, गौधन अब लवलेश ।।
गौधन अब लवलेश, पराली जले न कैसे ।
पर्यावरण वितान, रहे चाहे वह जैसे ।।
हैं बेखबर ‘रमेश’, करे वह केवल कब्जा ।
हर कारण के मूल, एक है बेजाकब्जा ।।
8.
मॉर्डन होने का चलन, तोड़ रहा परिवार ।
शिक्षित अरू धनवान ही, इसके सपनेकार ।।
इसके सपनेकार, बाप-माँ को हैं छोड़े ।
वृद्धाश्रम में छोड़, कर्तव्यों से मुख मोड़े ।
सुन लो कहे ‘रमेश’, साक्ष्य हैं इसके वॉर्डन ।
मांगे जो अधिकार, वही बनते हैं मॉर्डन ।।
-रमेशकुमार सिंह चौहान