रोपा है पौध
रक्त सिंचित कर
निर्लिप्त भाव
जीवन की उर्वरा
अर्पण कर
लाल ओ मेरे लाल
जीवन पथ
सुघ्घड़ संवारते
चुनते कांटे
हाथ आ गई झुर्री
लाठी बन तू
हाथ कांप रहा है
अंतःकरण,
प्रस्पंदित आकांक्षा,
अमूर्त पड़ा
मूर्त करना अब,
सारे सपने,
अनगढ़े लालसा
प्रतिबम्ब है
तू तन मन मेरा
जीवन समर्पण ।
रक्त सिंचित कर
निर्लिप्त भाव
जीवन की उर्वरा
अर्पण कर
लाल ओ मेरे लाल
जीवन पथ
सुघ्घड़ संवारते
चुनते कांटे
हाथ आ गई झुर्री
लाठी बन तू
हाथ कांप रहा है
अंतःकरण,
प्रस्पंदित आकांक्षा,
अमूर्त पड़ा
मूर्त करना अब,
सारे सपने,
अनगढ़े लालसा
प्रतिबम्ब है
तू तन मन मेरा
जीवन समर्पण ।
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