‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

जीवन समर्पण

रोपा है पौध
रक्त सिंचित कर
निर्लिप्त भाव
जीवन की उर्वरा
अर्पण कर
लाल ओ मेरे लाल
जीवन पथ
सुघ्घड़ संवारते
चुनते कांटे
हाथ आ गई झुर्री
लाठी बन तू
हाथ कांप रहा है
अंतःकरण,
प्रस्पंदित आकांक्षा,
अमूर्त पड़ा
मूर्त करना अब,
सारे सपने,
अनगढ़े लालसा
प्रतिबम्ब है
तू तन मन मेरा
जीवन समर्पण ।

Blog Archive

Popular Posts

Categories