प्रकृति और विज्ञान में, पहले आया कौन ।
खोज विज्ञान कर रहा, सत्य प्रकृति है मौन ।।
समय-समय पर रूप को, बदल लेत विज्ञान ।
कणिका तरंग जान कर, मिला द्वैत का ज्ञान ।।
सभी खोज का क्रम है, अटल नही है एक ।
पहले रवि था घूमता, अचर पिण्ड़ अब नेक ।।
नौ ग्रह पहले मान कर, कहते हैं अब आठ ।
रंग बदल गिरगिट सदृश, दिखा रहे हैं ठाठ ।।
जीव जन्म लेते यथा, आते नूतन ज्ञान ।
यथा देह नश्वर जगत, नश्वर है विज्ञान ।।
सेवक है विज्ञान तो, इसे न मालिक मान ।
साचा साचा सत्य है, प्रकृति पुरुष भगवान ।।