जन्म लिये इस देश में, मरना भी इस देश ।
रक्षा करने देश का, काम करें लवलेश ।।
केवल मरना मारना, राष्ट्र धर्म ना होय ।
राष्ट्र धर्म गंभीर है, समझे जी हर कोय ।।
सभी नागरिक जो करें, निज मौलिक कर्तव्य ।
राष्ट्र भक्त सच्चे वही, अति पावन मंतव्य ।।
खास आम हर कोय तो, जतलाते अधिकार ।
होते क्या कर्तव्य हैं, समझे ना संसार ।।
...
जय जय जय गणराज प्रभु....
जय जय जय गणराज प्रभु, जय गजबदन गणेश ।
विघ्न-हरण मंगल करण, हरें हमारे क्लेश।।
गिरिजा नंदन प्रिय परम, महादेव के लाल ।
सोहे गजमुख आपके, तिलक किये हैं भाल ।।
तीन भुवन अरू लोक के, एक आप अखिलेश । जय जय जय गणराज प्रभु....
मातु-पिता के आपने, परिक्रमा कर तीन ।
दिखा दियेे सब देेव को, कितने आप प्र्रवीन ।
मातुु धरा अरू नभ पिता, सबको दे संदेश ।। जय जय...
कवि बन रहे हजार
वाह वाह के फेर में, कवि बन रहे हजार ।
ऐसे कविवर पाय के, कविता है बीमार ।।
केवल तुकबंदी दिखे, दिखे ना काव्य तत्व ।
नही शिल्प व विधान है, ना ही इनके सत्व ।।
आत्म मुग्ध तो है सभी, पाकर झूठे मान ।
भले बुरे इस काव्य की, कौन करे पहचान ।।
पाठक स्रोता तो सभी, करते केवल वाह ।
अभ्यासी जन को यहां, कौन बतावें राह ।।
बतलाना चाहे अगर, कोई कभी कभार ।
बुरा...
अविचल अविरल है समय
अविचल अविरल है समय, प्रतिपल शाश्वत सत्य ।
दृष्टा प्रहरी वह सजग, हर सुख-दुख में रत्य ।।
पराभाव जाने नही, रचे साक्ष्य इतिहास ।
जीत हार के द्वंद में, रहे निर्लिप्त खास ।।
जड़ चेतन हर जीव में, जिसका है वैतत्य ।। अविचल अविरल है समय...
(वैतत्य-विस्तार)
चाहे ठहरे सूर्य नभ, चाहे ठहरे श्वास ।
उथल-पुथल हो सृष्टि में, चाहे होय विनाश ।।
इनकी गति चलती सहज, होते...
अपना शिक्षा तंत्र (शिक्षक दिवस पर)
पीडि़त असाध्य रोग से, अपना शिक्षा तंत्र ।
इसकी चिंता है किसे, अपना देश सुतंत्र ।।
हुये नही प्रयोग यहाॅं, जितने की विज्ञान ।
शिक्षा शास्त्री कर चुके, उससे अधिक निदान ।।
लगे पाक शाला यहां, सब सरकारी स्कूल ।
अक्षर वाचन छोड़ के, खाने में मशगूल ।।
कागज के घोड़े यहाॅं, दौड़े सरपट भाग ।
आॅफिर आॅफिस दौड़ के, जगा रहे अनुराम ।।
बिना परीक्षा पास सब, ऐसी...
हे मनमोहना

ले
मुख
बासुरी
हो सम्मुख
मनमोहना
देकर सुख
हर लीजिये दुख ।।
..........................
हो
तुम
हमारे
सर्वस्व ही
अर्पण तुम्हें
तन मन धन
गुण अवगुण सारे ।।
...
अष्ट दोहे
1
रोटी में होेते नहीं, ढूंढे जो तुम स्वाद ।
होय स्वाद तो भूख में, दिखे नही अपवाद ।।
2
बातें तो हम हैं करें, करें कहां है काम ।
बैठे बैठे चाहते, जग में होवे नाम ।।
3
ज्ञानी हम सब आज है, अज्ञानी ना कोय ।
ज्ञान खजाना हाथ में, फिर भी काहे रोय ।।
4
चिडि़यां बुनती घोसला, तिनका तिनका जोर ।
दुर्बल हो काया भले, मन कोे रखे सजोर ।।
5
चिटी चढ़े दीवार पर,...
कुछ दोहे
कल की बातें छोड़ दे, बीत गया सो बीत ।
बीते दिन बहुरे नहीं, यही जगत की रीत ।।
चले चलो निज राह तू, करना नही विश्राम ।
तेरी मंजिल दूर है, रखो काम से काम ।।
जीत हार में एक ही, अंतर होते सार ।
मंजिल पाना सार है, बाकी सब बेकार ।।
जान बूझ कर लोग क्यूं, चल पड़ते उस राह ।
तन मन करते खाक जो, करके उसकी चाह ।।
जग में भागम भाग है, भागें हैं हर कोय ।
कोई...
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