अफवाहों में जल रहे, निर्दोषों का नीड़ ।।
निर्दोषों का नीड़, बचे चिंता है किसको ।
जनता बकरी-भेड़, आज लगते हैं जिसको ।
खरी-खरी इक बात, कहें उन अनुशक्तों का ।
फँसे लोभ के फाँस, , हुये प्यासे रक्तों का।
Ramesh Kumar Chauhan
विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।
Manwata kaha hai ?
AAPNI AAKHO SE DEKHO
MAI DESH KA ..
है बच्चों का लालन-पालन, कानूनी कर्तव्य ।
पर कानूनी अधिकार नही, देवें निज मंतव्य ।।
पाल-पोष कर मैं बड़ा करूं, हूँ बच्चों का बाप ।
मेरे मन का वह कुछ न करे, है कानूनी श्राप ।।
जन्म पूर्व ही बच्चों का मैं, देखा था जो स्वप्न ।
नैतिकता पर कानून बड़ा, रखा इसे अस्वप्न ।।
दशरथ के संकेत समझ तब, राम गये वनवास ।
अगर आज दशरथ होते जग, रहते कारावास ।।
अटल अटल है आपका, ध्रुव तरा सा नाम । बोल रहा हर गांव में, पहुंच सड़क का काम ।। जोड़ दिए हर गांव को, मुख्य सड़क के साथ। गांव शहर से जब जुड़ा...