( उल्लाल छंद)
देश हमारा हम देश के, देश हमारा मान है ।
मातृभूमि ऊंचा स्वर्ग से, भारत का यश गान है ।।
मातृभूमि ऊंचा स्वर्ग से, भारत का यश गान है ।।
देश एक है सागर गगन एक रहे हर हाल में ।
देश भक्ति का चंदन सजे, नित्य हमारे भाल में ।।
धर्म हमारा हम धर्म के, जिस पर हमें गुमान है ।
धर्म-कर्म जीवन में दिखे,जो खुद प्रकाशवान है ।।
धर्म-कर्म जीवन में दिखे,जो खुद प्रकाशवान है ।।
फंसे रहेंगे कब तलक हम, पाखंडियों के जाल में ।
देश भक्ति का चंदन सजे, नित्य हमारे भाल में ।।
जाति हमारी हम जाति के, जिस पर हम को मान है ।।
जाति-पाति से पहले वतन, ज्यों काया पर प्राण है ।।
जाति-पाति से पहले वतन, ज्यों काया पर प्राण है ।।
बटे रहेंगे कब तलक हम, जाति- पाति जंजाल में ।
देश भक्ति का चंदन सजे, नित्य हमारे भाल में ।।
अपने का अभिमान है जब, दूजे का भी मान हो ।
अपना अपमान बुरा लगे जब, दूजे का भी भान हो ।।
अपना अपमान बुरा लगे जब, दूजे का भी भान हो ।।
फंसे रहेंगे कब तलक हम, नेताओं के जाल में ।
देश भक्ति का चंदन सजे, नित्य हमारे भाल में ।।