हाइकू
एक पत्थर
भगवान हो गया
आस्था से रंगे ।
आशा विश्वास
श्रद्धा जगाये रखे
मिट्टी मूरत ।
मैं भक्त हूं
मां आदि भवानी है
सृष्टि रचक ।
मातु बिराजे
श्रद्धा के नवरात
कण-कण में ।
धर्म धारक
अधर्म विदारक
मातु भवानी ।
शक्ति दीजिये
जग में मानवता
अक्षुण रहे ।
-रमेश चौह...
जग जननी मां आइये ..
जग जननी मां आइये, मेरी कुटिया आज ।
मुझ निर्धन की टेर सुन, रखिये मेरी लाज ।।
निर्धन से तो है भला, कचरा तिनका घास ।
दीनता के अभिशाप से, दुखी आपका दास ।।
मानव सा माने नहीं, जग का सभ्य समाज ।। जग जननी मां आइये ...
बेटी बहना है दुखी, देख जगत व्यभिचार ।
लोक लाज अब मिट रहे, नवाचार की मार ।।
लोग यहां घर छोड़ के, दिखला रहे मिजाज । जग जननी मां आइये....
घर-घर...
अफसाना ये प्यार का
अफसाना ये प्यार का, जाने ना बेदर्द ।
हम हॅस हॅस सहते रहे, बांट रही वह दर्द।।
लम्हा लम्हा इष्क में, बहाते रहे अश्क ।
आशकीय है बेखुदी, इसमें कैसा रश्क ।।
वो तो खंजर घोपने, मौका लेती खोज ।
उनकी लंबी आयु की, करूं दुवा मैं रोज ।।
पत्थर पर भी फूल जो, चढ़ते हो हररोज ।
पत्थर भी भगवान तो, हो जाते इकरोज ।।
...
अति पावन मंतव्य
जन्म लिये इस देश में, मरना भी इस देश ।
रक्षा करने देश का, काम करें लवलेश ।।
केवल मरना मारना, राष्ट्र धर्म ना होय ।
राष्ट्र धर्म गंभीर है, समझे जी हर कोय ।।
सभी नागरिक जो करें, निज मौलिक कर्तव्य ।
राष्ट्र भक्त सच्चे वही, अति पावन मंतव्य ।।
खास आम हर कोय तो, जतलाते अधिकार ।
होते क्या कर्तव्य हैं, समझे ना संसार ।।
...
जय जय जय गणराज प्रभु....
जय जय जय गणराज प्रभु, जय गजबदन गणेश ।
विघ्न-हरण मंगल करण, हरें हमारे क्लेश।।
गिरिजा नंदन प्रिय परम, महादेव के लाल ।
सोहे गजमुख आपके, तिलक किये हैं भाल ।।
तीन भुवन अरू लोक के, एक आप अखिलेश । जय जय जय गणराज प्रभु....
मातु-पिता के आपने, परिक्रमा कर तीन ।
दिखा दियेे सब देेव को, कितने आप प्र्रवीन ।
मातुु धरा अरू नभ पिता, सबको दे संदेश ।। जय जय...
कवि बन रहे हजार
वाह वाह के फेर में, कवि बन रहे हजार ।
ऐसे कविवर पाय के, कविता है बीमार ।।
केवल तुकबंदी दिखे, दिखे ना काव्य तत्व ।
नही शिल्प व विधान है, ना ही इनके सत्व ।।
आत्म मुग्ध तो है सभी, पाकर झूठे मान ।
भले बुरे इस काव्य की, कौन करे पहचान ।।
पाठक स्रोता तो सभी, करते केवल वाह ।
अभ्यासी जन को यहां, कौन बतावें राह ।।
बतलाना चाहे अगर, कोई कभी कभार ।
बुरा...
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