‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

Nawakar

Ramesh Kumar Chauhan

हे सावन सुखधाम

सावन! तन से श्याम थे, अब मन से क्यों श्याम धरती शस्या तुम से होती, नदियां गहरी-गहरी चिड़िया चीं-चीं कलरव करती, कुआँ-बावली अहरी । (अहरी=प्याऊ) तुम तो जीवन बिम्ब हो, तजते क्यों निज काम धरती तुमसे जननी धन्या, नीर सुधा जब लाये भृकुटि चढ़ाये जब-जब तुम तो, बंध्या यह कहलाये हम धरती के जीवचर, करते तुम्हें प्रणाम तुम से जीवन नैय्या चलती, तुम बिन खाये हिचकोले नीर...

हिन्दी श्लोक

आठ वर्ण जहां आवे, अनुष्टुपहि छंद है । पंचम लघु  राखो जी, चारो चरण बंद में ।। छठवाँ गुरु आवे है, चारों चरण बंद में । निश्चित लघु ही आवे, सम चरण सातवाँ ।। अनुष्टुप इसे जानों, इसका नाम श्लोक भी । शास्त्रीय छंद ये होते, वेद पुराण ग्रंथ में ।। ------------------------------- राष्ट्रधर्म कहावे क्या, पहले आप जानिये । मेरा देश धरा मेरी, मन से आप मानिये...

भूमि अतिक्रमण का मार

नदियों पर ही बस गये, कुछ स्वार्थी इंसान । नदियां बस्ती में बही, रखने निज सम्मान ।। जल संकट के मूल में, केवल हैं इंसान । जल के सारे स्रोत को, निगल रहे नादान ।। कहीं बाढ़ सूखा कहीं, कारण केवल एक । अतिक्रमण तो भूमि पर, लगते हमको नेक ।। गोचर गलियां गुम हुई, चोरी भय जल स्रोत । चोर पुलिस जब एक हो, कौन लगावे रोक ।। जंगल नदियों से हम सभी, छिन रहे पहचान को...

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