‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

चुनावी होली

चुनावी होली
(सरसी छंद)

जोगीरा सरा ररर रा
वाह खिलाड़ी वाह.

खेल वोट का अजब निराला, दिखाये कई रंग ।
ताली दे-दे जनता हँसती, खेल देख बेढंग ।।
जोगी रा सरा ररर रा, ओजोगी रा सरा ररर रा

जिनके माथे हैं घोटाले, कहते रहते चोर ।
सत्ता हाथ से जाती जब-जब, पीड़ा दे घनघोर ।।
जोगी रा सरा ररर रा ओ जोगी रा सरा ररर रा

अंधभक्त जो युगों-युगों से, जाने इक परिवार ।
अंधभक्त का ताना देते, उनके अजब विचार ।।
जोगीरा सरा ररर रा ओ जोगी रा सरा ररर रा

बरसाती मेढक दिखते जैसे, दिखती है वह नार ।
आज चुनावी गोता खाने, चले गंग मजधार ।।
जोगीरा सरा ररर रा ओ जोगी रा सरा ररर रा

मंदिर मस्जिद माथा टेके, दिखे छद्म निरपेक्ष।
दादा को बिसरे बैठे,  नाना के सापेक्ष ।।
जोगीरा सरा ररर रा ओ जोगी रा सरा ररर रा

दूध पड़े जो मक्खी जैसे, फेक रखे खुद बाप ।
साथ बुआ के निकल पड़े हैं, करने सत्ता जाप ।।
जोगीरा सरा ररर रा ओ जोगी रा सरा ररर रा


इक में माँ इक में मौसी, दिखती ममता प्यार ।
कोई कुत्ता यहाँ न भौके, कहती वह ललकार ।।
जोगीरा सरा ररर रा ओ जोगी रा सरा ररर रा

मफलर वाले बाबा अब तो, दिखा रहे हैं प्यार ।
जिससे लड़ कर सत्ता पाये, अब उस पर बेजार ।।
जोगीरा सरा ररर रा ओ जोगी रा सरा ररर रा

पाक राग में राग मिलाये, खड़ा किये जो प्रश्न ।
एक खाट पर मिलकर बैठे, मना रहे हैं जश्न ।।
जोगीरा सरा ररर रा ओ जोगी रा सरा ररर रा


नाम चायवाला था जिनका, है अब चौकीदार ।
उनके सर निज धनुष चढ़ाये, उस पर करने वार ।।
जोगीरा सरा ररर रा ओ जोगी रा सरा ररर रा

-रमेशकुमार सिंह चौहान

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