जो पाले अलगाववाद को, उसको हमने ही पाला ।
झांके ना घर के भेदी को, जपे दूसरों की माला ।।
झांके ना घर के भेदी को, जपे दूसरों की माला ।।
पाल हुर्रियत मुसटंडों को, क्यों अश्रु बहाते हो ।
दोष दूसरों को दे देकर, हमकों ही बहकाते हो ।।
दोष दूसरों को दे देकर, हमकों ही बहकाते हो ।।
राजनीति के ढाल ओढ़ कर, बुद्धिमान कहलाते हो।
इक थैली के चट्टे-बट्टे, जो सरकार बनाते हो ।।
इक थैली के चट्टे-बट्टे, जो सरकार बनाते हो ।।
आतंकी के जो सर्जक पालक, उनको ही पहले मारो ।
निश्चित ही आतंक खत्म हो, अपनों को ही ललकारो ।।
निश्चित ही आतंक खत्म हो, अपनों को ही ललकारो ।।
घास डालना बंद करो अब, जयचंदों को पहचानों ।
नहीं पाक में दम है इतना, बैरी इसको ही जानों ।।
नहीं पाक में दम है इतना, बैरी इसको ही जानों ।।
-रमेश चौहान
0 Comments:
एक टिप्पणी भेजें