तुम बिन पूरन है कहां, मेरा कोई काज ।
मेरी हर मुस्कान की, तुम ही तो हो राज ।
तुम ही तो हो राज, रंग रंगा जो मन में ।
मुखरित कर दूँ आज, प्रेम पियूषा तन में ।
अर्पण मन अरु देह, श्वास जीवन का पलछिन ।
जीवन का अस्तित्व, नही है मेरा तुम बिन ।।
मेरी हर मुस्कान की, तुम ही तो हो राज ।
तुम ही तो हो राज, रंग रंगा जो मन में ।
मुखरित कर दूँ आज, प्रेम पियूषा तन में ।
अर्पण मन अरु देह, श्वास जीवन का पलछिन ।
जीवन का अस्तित्व, नही है मेरा तुम बिन ।।
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