‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

Nawakar

Ramesh Kumar Chauhan

श्रीमद्भागवत अवतार कथा

धर्म बचावन को जग में प्रभु, ले अवतार सदा तुम आते । स्वर-प्रेम पटेल रचना-रमेश चौहान https://drive.google.com/file/d/0B_vVk5gISWv3RnAzbEp0NVItdHM/view?usp=shari...

श्रीरामरक्षा चालिसा

श्रीरामरक्षा चालिसा स्वर-प्रेम पटेल रचना- रमेश चौहान स्रोत-श्रीरामरक्षाhttps://drive.google.com/file/d/0B_vVk5gISWv3U0dJTDBkb2M4cWs/view?usp=sharing स्त्रो...

प्रकाश पर्व

है गुरू नानक देव के, अति पावन उपदेश । मानव मानव को दिये, मानवता संदेश ।। एक ओंकार है जगत,ईश्वर एक प्रदीप । सृ‍ष्टि आरती हैं करे, चांद सूर्य के दीप ।। तारे सजते मोति सम, नभ तो थाल स्वरूप । सागर देते अर्घ हैं, चंदन साजे धूप ।। सबद याद रख एक तू, मानव मानव एक । मानवता ही धर्म है, धर्म नही अनलेख । ऐसे नानक देव के, करते हम अरदास । उनके प्रकाश...

चलो भगायें रोग, गंदगी दूर भगायें ।

चलो भगायें रोग, गंदगी दूर भगायें ।हाथ से हाथ जोड़, गीत सब मिलकर गायेंं । उनके हाथ कुदाल, और है टसला रापा । मिले सयाने चार, ढेर पर मारे छापा ।।करते नव आव्हान, चलो अब देश बनायें ।चलो भगायें रोग, गंदगी दूर भगायें । ऐसे ऐसे लोग, दिखे हैं कमर झुकाये ।जो जाने ना काम, काम ओ आज दिखाये ।बोल रहे वे बोल, चलो सब हाथ बटायें ।चलो भगायें रोग, गंदगी दूर...

ये कचरे का ढेर भी, पूछे एक सवाल

करे दिखावा क्यों भला, ऐसे सारे लोग ।करते हैं जो गंदगी, खाकर छप्पन भोग।। ये कचरे का ढेर भी, पूछे एक सवाल ।कैसे मैं पैदा हुआ, जिस पर मचे बवाल ।। मर्म सफाई के भला, जाने कितने लोग ।अंतरमन की बात है, जैसे कोई योग ।। नेता अरू सरकार से, ये कारज ना होय ।जन जन समझे बात को, इसे हटाना जोय ।। गांधी के इस देश में, साफ सफाई गौण । गांधी के उस विचार...

मचा रहे आतंक क्यों

मचा रहे आतंक क्यों, मिलकर इंसा चार । कट्टर अरू पाषाण हो, बने हुये हैं भार ।। क्यों वह अपने सोच को, मान रहें हैं सार । भांति भांति के लोग हैं, सबके अलग विचार ।। आतंकवाद के जनक, कट्टरता को जान । मानवता के शत्रु को, नही धर्म का ज्ञान ।। सभी धर्म का सार है, मानव एक समान । चाहे पूजा भिन्न हो, करें खुदा का मान ।। ...

प्यार होता है अंधा

कहते थे जो लोग, प्यार होता है अंधा । दंग रहा मैं देख, आज इसमें भी धंधा ।। एक देव का हार, चढ़े दूजे प्रतिमा पर । पूजारन की चाह, मिले प्रसाद मुठ्ठी भर ।। पत्थर का वह देव, कभी लगते त्रिपुरारी । कभी कभी वह होय, रास करते बनवारी ।। सीता का वह राम, खोज ना पाये रावण । राधा बनी अधीर, प्यार लगते ना पावन ।। ...

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