हमने विज्ञान का निबंध
रटा था,
विज्ञान एक अच्छा नौकर है,
मालिक नहीं
आज एक समाचार पढ़ा
एक मेजर के तीन लड़के थे
खूब-पढ़ाया लिखाया
ऐशों आराम दौलत थमाया
समय चक्र चलता गया,
मेजर की पत्नी चल बसी
बेटे पत्नियों से युक्त
मेजर बूढ़ा हो चला
हाथ-पैर असक्त
जुबान बंद
वह बिस्तर का
कैदी रह गया
धन का कमी था नहीं
बेटे बाप को
नौकर भरोसे छोड़
विदेश चले गए
मेजर के बेटे होने का
रौब दिखाते हुए
नौकर भला इंसान
सेवा करता नित
बिस्तर के कैदी का
एक दिन नौकर
गया बाजार
खरीदने मेजर के लिए
जरुरी सामान
पर नियति ने
उसे ठोकर मारी
दुर्घटना में वह
दुनिया को कह गया
अलविदा
मेजर बिस्तर का कैदी
बंद कमरे में
बंद हो गया
बंद हो गई
उसकी जीवन लीला
महीनों बाद
बेटे लौटे
विदेश के सैर से
कंकाल पड़ा मिला
बाप का नहीं
मेजर का
मेजर के बेटों को
न जाने
ऐसे कितने
माँ-बाप
मरते रहे हैं
मरते रहेंगे
संतानों को
पढ़ा-लिखा कर,
साहब बना कर
अपने सुख चैन
अपनी जिंदगी
गंवाकर
यह शिक्षा
कान्वेंट का
साहब बनाने,
बच्चों को
धनवान बनाने
भौतिकता के पीछे
नैतिकता खोकर
भाग जाने का
एक अच्छा मालिक
हो नहीं सकता
विज्ञान की तरह