‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

Nawakar

Ramesh Kumar Chauhan

बंधन

मृत्युलोक माया मोह अमर । मोह पास ही जग लगे समर लोग कहे यह मेरा अपना । संत कहे जगत एक सपना जीते जो जग में यह माया । मिट्टी समझे अपनी काया स्वार्थ के सब रिश्ते नाते । स्नेही जीवन अनमोल बनाते आसक्ति प्रीत में भेद करें । कमल पत्र सा निर्लिप्त रहे है अनमोल प्रीत का बंधन । रहे सुवासित जैसे चं...

कब समझेगा मर्म रे

हिन्दू मुस्लिम राग, छोड़ दे रे अब बंदे । कट्टरता को छोड़, छोड़ सब गोरख धंधे ।। धर्म पंथ का काज, करे पावन तन मन को । पावन पवित्र स्नेह, जोड़ती है जन जन को ।। राग द्वेष को त्याग कर अब, कर ले सब से प्रेम रे । मानव मानव सब एक है, कब समझेगा मर्म रे ...

द्वारिका पुरी सुहानी रे भैया

द्वारिका पुरी सुहानी रे भैया नही कोई इसका सानी है । बांके बिहारी तो यहां है रहते-2 जहां उसकी राजधानी है ।। सागर श्याम को जगह है दीन्हो विश्वकर्मा ने यह रचना है कीन्हो कान्हा अपना वास जहां है लीन्हो वसे है जहां उसके पटरानी रे भैया नही कोई इसका सानी है । ऊंचे ऊंचे जहां महल अटारी रथ घोड़े का अद्भूत सवारी देखे भौचक्क सुदामा संगवारी आंख भर आये हैं पानी...

मुरली से कोई बाचे न बचे रे मुरली से

मुरली से कोई बाचे न बचे रे मुरली से मुरली से कोई बाचे न बचे रे मुरली से मुरली से कोई बाचे न बचे रे मुरली से मुरली से कोई बाचे न बचे रे मुरली से ग्वाला रे गोकुल के हाहा हाहा हाहा गोकुल के ग्वाला, गोकुल के ग्वाला छेड़े है मुख लगाये घोले रे हाला मुरली से मुरली से कोई बाचे न बचे रे मुरली से मुरली से कोई बाचे न बचे रे मुरली से मुरली से कोई बाचे न बचे...

बड़ा तंग किना (भजन)

ओ मईयाजी ........ बड़ा तंग किन्हा तेरे किसन ने बड़ा तंग किना -2 दूध दही चुराये, संग साथी बुलाये, घर घुस चढ़ जावे ये जिना बड़ा तंग किन्हा तेरे किसन ने बड़ा तंग किना ओ मईयाजी ........ बड़ा तंग किन्हा ओ ग्वाला है हम ग्वालिन हैं-2 ओ बगिया है हम मालिन हैं तेरे घर में माखन, खूब होगी मगर उसने मेरा माखन छिना बड़ा तंग किना 2 तेरे किसन ने बड़ा तंग किना बड़ा...

नेताजी की महिमा गाथा (आल्हा)

नेताजी की महिमा गाथा, लोग भजन जैसे है गाय । लोकतंत्र के नायक वह तो, भाव रंग रंग के दिखाय ।। नटनागर के माया जैसे, इनके माया समझ न आय । पल में तोला पल में मासा, कैसे कैसे रूप बनाय ।। कभी कभी जनता संग खड़े, जन जन के मसीहा कहाय । मुफ्त बांटते राशन पानी, लेपटाप बिजली भरमाय । कभी मंहगाई पैदा कर, दीन दुखीयों को तड़पाय । बांट बेरोजगारी भत्ता, युवा शक्ति...

कर्तव्य क्या है ?

कर्तव्य क्या है ? कोई नही जानते  ऐसा नही है  कोई नही चाहते  कांटो पर चलना ।      स्वार्थ के पर     एक मानव अंग     मानवीकृत     मांगते अधिकार     कर्तव्य भूल कर । लड़े लड़ाई  अधिकारों के लिये  अच्छी  बात है  रखें याद यह भी  कुछ...

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