‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

Nawakar

Ramesh Kumar Chauhan

सोचें जरा (तांका)

1.     शरम हया     लड़की का श्रृंगार     लड़को का क्या     लोक मर्यादा नोचे     इसको कौन  सोचे । 2.    नर नारी का     समता वाजिब है     रसोई घर     चैका करे पुरूष     दफ्तर नारी साजे । 3.   ...

करना है आराम (चोका)

ढलती शाम दिन का अवसान देती विराम भागम भाग भरी दिनचर्या को आमंत्रण दे रही चिरशांति को निःशब्द अव्यक्त बाहें फैलाय आंचल में ढक्कने निंद में लोग होकर मदहोश देखे सपने दिन के घटनाएं चलचित्र सा पल पल बदले रोते हॅसते कुछ भले व बुरे वांछित अवांछित आधे अधूरे नयनों के सपने हुई सुबह फिर भागम भाग अंधड़ दौड़ जीवन का अस्तित्व आखीर क्या है मृत्यु के शैय्या पर सोच...

एक सौ एक हाइकू

1.    हे गजानन     कलम के देवता     रखना लाज । 2.    ज्ञान दायनी     हर लीजिये तम     अज्ञान मेट । 3.    आजादी पर्व     धर्म धर्म का पर्व     देश  का गर्व.    4.    पाले सपना...

सत्यमेव जयते (छप्पय छंद)

सत्य नाम साहेब, शिष्य कबीर के कहते । राम नाम है सत्य, अंत पल तो हम जपते ।। करें सत्य की खोज, आत्म चिंतन आप करें । अन्वेषण से प्राप्त, सत्य को ही आप वरें ।। शाश्वत है सत्य नष्वर जग, सत्य प्रलय में षेश है । सत्यमेव  जयते सृश्टि में, शंका ना लवलेष है ।। असत्य बन कर मेघ, सत्य रवि ढकना चाहे । कुछ पल को भर दंभ, नाच ले वह मनचाहे ।। मिलकर राहू केतु,...

सावन (गीतिका छंद)

हर हर महादेव ..................... माह सावन है लुभावन, वास भोलेनाथ का । आरती पूजा करे हम, व्रत भी भोलेनाथ का ।। लोग पार्थिव देव पूजे, नित्य नव नव रूप से । कामना सब पूर्ण करते, ले उबारे कूप से ।। -रमेशकुमार सिंह चौह...

सावन

ये रिमझिम सावन, अति मन भावन, करते पावन, रज कण को । हर मन को हरती, अपनी धरती, प्रमुदित करती, जन जन को । है कलकल करती, नदियां बहती, झर झर झरते, अब झरने । सब ताल तलैया, डूबे भैया, लोग लगे हैं, अब डरने ।। -------------------------------------------------------- -रमेशकुमार सिंह चौह...

दोहे -रूपया ईश्वर है नही

काम काम दिन रात है, पैसे की दरकार । और और की चाह में, हुये सोच बीमार ।। रूपया ईश्वर है नही, पर सब टेके माथ । जीवन समझे धन्य हम, इनको पाकर साथ ।। मंदिर मस्जिद देव से, करते हम फरियाद । अल्ला मेरे जेब भर, पसरा भौतिक वाद ।। निर्धनता अभिशाप है, निश्चित समझे आप । कोष बड़ा संतोष है, मत कर तू संताप ।। धरे हाथ पर हाथ तू, सपना मत तो देख । करो जगत में काम...

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