
कोरोना का रोना(कुण्डलियॉं)कोरोना का है कहर , कंपित कुंठित लोग ।सामाजिकता दांव पर, ऐसे व्यापे रोग ।ऐसे व्यापे रोग, लोग कैदी निज घर में ।मन में पले तनाव, आज हर नारी नर में ।।सुन लो कहे रमेश, चार दिन का यह रोना ।धरो धीर विश्वास, नष्ट होगा कोरोना ।तन से दूरी राखिये, मन से...