मेरा जीवन एक धरोहर । कभी सुर्ख तो कभी मनोहर
मेरा जीवन है बच्चों का । स्वप्न स्नेहिल प्रिय सच्चों का
गढ़ना है मुझको जीवन पथ । दौड़ सके जिसमें उनका रथ
दिन का सूरज दीप निशा का । प्रहरी बनाना सभी दिशा का
संस्कारों की ज्योति जलानी । बचा सके जो मेरा पानी
देश बड़ा है पहले जाने । बड़ा स्वर्ग से इसको माने
जिस धरती पर देह धरा है । वही धरा तो स्वर्ण खरा है
फिर पूजे वह देव सनातन । बांटे सबको वह अपनापन
-रमेश चौहान
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