फूलों की महक घड़ी दो घड़ी हीओठों की चहक घड़ी दो घड़ी हीअक्षय रहता श्वेद, सूख कर भीश्रम में तू दहक घड़ी दो घड़ी ही
किसी को नाम से वास्ता हैकिसी को काम से वास्ता हैयहां मैं मस्त हूँ मस्ती मेंमुझे तो जाम से वास्ता ...
मूल्य नीति, हमें समझ ना आय
टेक्स हटाओं तेल से, सस्ता कर दो दाम ।जोड़ो टेक्स शराब पर, चले बराबर काम ।।
अच्छे दिन के स्वप्न को, ढूंढ रहे हैं लोग ।बढ़े महंगाई कठिन, जैसे कैंसर रोग ।।
कभी व्यपारी आंग्ल के, लूट लिये थे देश ।आज व्यपारी देश के, बांट रहे हैं क्लेश ।।
तने व्यपारी आन पर, विवश दिखे सरकार ।कल का हो या आज का, सब दल है लाचार ।।
मूल्य नीति व्यवसाय की, हमें समझ ना आय ।दस...
मदिरा पीना क्या पीना है
मदिरा पीना भी क्या पीना है
ऐसा जीना भी क्या जीना है
पीना है तो दुख पीकर देखो
फिर कहना चौड़ा यह सीना ...
माँ
माँ, माँ ही रहती सदा, पूत रहे ना पूत ।
नन्हे बालक जब बढ़े, माँ को समझे छूत ।।
माँ को समझे छूत, जवानी ज्यों-ज्यों आये ।
प्रेम-प्यार के नाम, प्यार माँ का बिसराये ।।
माने बात ‘रमेश‘, पत्नि जो जो अब कहती ।
बचपन जैसे कहाँ, आज माँ, माँ ही रहती ।।
...
ऐसी शिक्षा नीति
हमको तो अब चाहिये, ऐसी शिक्षा नीति ।राष्ट्र प्रेम संस्कार का, जो समझे हर रीति ।।जो समझे हर रीति, आत्म बल कैसे देते ।कैसे शिक्षित लोग, सफल जीवन कर लेते ।शिक्षा का आधार, हरे जीवन के गम को ।कागज लिखे प्रमाण, चाहिये ना अब हमको ...
मन में एक सवाल है
मन में एक सवाल है, उत्तर की दरकार ।आखिर कब से देश में, पनपा भ्रष्टाचार ।।पनपा भ्रष्टाचार, किये नेता अधिकारी ।एक अँगूठा छाप, दिखे क्या भ्रष्टाचारी ।।शिक्षित लोग "रमेश", इसे फैलाये जन में ।कैसी शिक्षा नीति, सोच कर देखें मन में ...
शिक्षा में संस्कार हो
शिक्षा में संस्कार हो, कहते हैं सब लोग ।शिक्षा में व्यवहार का, निश्चित हो संजोग ।निश्चित हो संजोग, समझ जीवन जीने का ।सहन शक्ति हो खास, कष्ट प्याला पीने का ।पर दिखता है भिन्न, स्कूल के इस दीक्षा में ।टूट रहा परिवार, आज के इस शिक्षा में ...
कैसे कह दें
कैसे कह दें झूठ में, हमें न तुमसे प्यार ।
मन अहलादित है मगर, करते कुछ तकरार ।।
करते कुछ तकरार प्यार में, खुद को अजमाते ।
कितना गहरा, हृदय समुन्दर, गोता खाते ।।
ढूंढ रहा हूँ, माणिक मोती, यूँ ही ऐसे ।
मिला नही कुछ, झूठा बनने, कह दें कैसे ...
मैं और मजदूर
//मैं और मजदूर//
मैं एक अदना-सा
प्रायवेट स्कूल का टिचर
और वह
श्रम साधक मजदूर ।
मैं दस बजे से पांच बजे तक
चारदीवार में कैद रहता
स्कूल जाने के पूर्व
विषय की तैयारी
स्कूल के बाद पालक संपर्क
और वह
नौ बजे से दो बजे तक
श्रम की पूजा करता
इसके पहले और बाद
दायित्व से मुक्त ।
मेरे ही स्कूल में
उनके बच्चे पढ़ते हैं
जिनका मासिक शुल्क
महिने के महिना
अपडेट रहता...
कल और आज
//कल और आज//
कल जब मैं स्कूल में पढ़ता था,
मेरे साथ पढ़ती थी केवल एक लड़की
आज मैं स्कूल में पढ़ाते हुये पाता हूँ
कक्षा में
दस छात्र और बीस छात्रा ।
कल जब मैं शिक्षक का दायित्व सम्हाला ही था
स्कूल में सांस्कृतिक कार्यक्रम कराने हेतु
एक छात्रा को सहमत कराने में
पसीना आ जाता था
और आज एक छात्र को तैयार करने में
पसीना क्या खून जलाना पड़ रहा है ।
कल जब मेरा...
Popular Posts
-
मानवता हो पंगु जब, करे कौन आचार । नैतिकता हो सुप्त जब, जागे भ्रष्टाचार ।। प्रथा कमीशन घूस हैे, छूट करे सरकार । नैतिकता के पाठ का,...
-
जिसे भाता ना हो, छल कपट देखो जगत में । वही धोखा देते, खुद फिर रहे हैं फकत में ।। कभी तो आयेगा, तल पर परिंदा गगन से । उड़े चाहे ऊॅचे, मन...
-
चरण पखारे शिष्य के, शाला में गुरू आज । शिष्य बने भगवान जब, गुरूजन के क्या काज ।। गुरूजन के क्या काज, स्कूल में भोजन पकते । पढ़ना-लिखना छ...
-
गणेश वंदना दोहा - जो गणपति पूजन करे, ले श्रद्धा विश्वास । सकल आस पूरन करे, भक्तों के गणराज ।। चौपाई हे गौरा गौरी के लाला । हे ल...
-
योग दिवस के राह से, खुला विश्व का द्वार । भारत गुरू था विश्व का, अब पुनः ले सम्हार ।। गौरव की यह बात है, गर्व करे हर कोय । अपने ही इस...
-
लोकतंत्र के राज में, जनता ही भगवान । पाॅंच साल तक मौन रह, देते जो फरमान । द्वार द्वार नेता फिरे, जोड़े दोनो हाथ । दास कहे खुद को सदा, म...
-
25.10.16 एक मंत्र है तंत्र का, खटमल बनकर चूस। झोली बोरी छोड़कर, बोरा भरकर ठूस ।। दंग हुआ यह देख कर, रंगे उनके हाथ । मूक बधिर बन आप ही, ...
-
प्रेम का मै हू पुजारी, प्रेम मेरा आन है । प्रेम का भूखा खुदा भी, प्रेम ही भगवान है ।। वासना से तो परे यह, शुद्ध पावन गंग है । जीव में जी...
-
चीं-चीं चिड़िया चहकती, मुर्गा देता बाँग । शीतल पवन सुगंध बन, महकाती सर्वांग ।। पुष्पकली पुष्पित हुई, निज पँखुडियाँ प्रसार । उद...
-
मदिरापान कैसा है, इस देश समाज में । अमरबेल सा मानो, फैला जो हर साख में ।। पीने के सौ बहाने हैं, खुशी व गम साथ में । जड़ है नाश का दार...
Categories
- अतुकांत (15)
- अध्यात्म (1)
- अनुष्टुप छंद (1)
- अमृत ध्वनि (4)
- आल्हा छंद (4)
- उल्लाल छंद (2)
- उल्लाला छंद (5)
- कहमुकरियां छंद (3)
- कुंडलियां (4)
- कुकुभ छंद (5)
- कुण्डलियां (105)
- गंगोदक सवैया (1)
- गजल (6)
- गीत (4)
- गीतिका छंद (8)
- घनाक्षरी (3)
- घनाक्षरी छंद (9)
- चवपैया छंद (2)
- चिंतन (4)
- चोका (16)
- चौपाई (4)
- चौपाई गीत (1)
- चौपाई छंद (6)
- चौबोला (1)
- छंद माला (1)
- छंदमाला (1)
- छन्न पकैया छंद (3)
- छप्पय छंद (5)
- तांका (7)
- तुकबंदी (2)
- तुकांत (20)
- त्रिभंगी छंद (7)
- त्रिवेणी (1)
- त्रिष्टुप छंद (1)
- दुर्मिल सवैया (1)
- देशभक्ति (10)
- दोहा (6)
- दोहा मुक्तक (4)
- दोहा-गीत (12)
- दोहे (99)
- नवगीत (11)
- नारी (1)
- पद (1)
- भजन (5)
- माहिया (1)
- मुक्तक (11)
- राजनैतिक समस्या (3)
- राधिका छंद (1)
- रूपमाला छंद (2)
- रोला छंद (4)
- रोला-गीत (2)
- वर्ण पिरामिड (7)
- विविध (1)
- शक्ति छंद (3)
- शब्दभेदी बाण (3)
- शिखरिणी छंद (1)
- शोभन (3)
- श्रृंगार (2)
- सजल (1)
- सरसी छंद (7)
- सवैया (1)
- सामाजिक समस्या (12)
- सार छंद (16)
- सिंहावलोकनी दोहा मुक्तक (6)
- हरिगीतिका (1)
- हाइकू (4)
- mp3 (6)