‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

Nawakar

Ramesh Kumar Chauhan

प्रेमी पागल एक सा

प्रेमी पागल एक सा, जैसे होते भक्त । होकर जगत निशक्त वह, प्रेमी पर आसक्त ।। चंदन तरु सम प्रेम है, जिसका अचल सुगंध । गरल विरह की वेदना, सुधा मिलन अनुबंध ।...

उलझ गया है न्याय

मुझ से बढ़कर तंत्र है, सोच रहा है राम । बाबर पहले या अवध, किससे मेरा नाम ।। भारत के इस तंत्र में, उलझ गया है न्याय । राम पड़ा तिरपाल पर, झेल रहा अन्याय ।। ...

राष्ट्रवाद

धर्मवाद के फेर में, राष्ट्रवाद है फेल । खेलें हैं जब धर्म पर, राजनीति का खेल । राजनीति में मान कर, जाति धर्म में भेद । मतदाता को बांटना, लोकतंत्र का छेद ।। आन-बान इस देश का, जो रखते सम्हाल । जीते रहते देश पर, लिये मौत का ढाल ।। राष्ट्रवाद पर प्रश्न क्यों, खड़ा किये हैं लोग । जिसके कारण आज तो, दिखे देश में रोग ।। निज मौलिक कर्तव्य है, राष्ट्रवाद...

करते रहिये काम

देखे कई पड़ाव हम, निज जीवन के राह । कितने ढ़ाल चढ़ाव हैं, पाया किसने थाह ।। लोभ-मोह अरु स्वार्थ का, माया ठगनी नाम । प्रीत-प्रेम उपकार ही, रचे जगत सत धाम ।। बेटा तुझको क्या समझ, पैसों का परिताप । खून-पसीना बेच कर, पैसा लाता बाप ।। मोटर गाड़ी बंगला, और बैंक बैलेंस । छोड़ बड़ा संतोष धन, सभी इसी के फैंस ।। राग द्वेश को छोड़ कर, करते रहिये काम । कर्म हस्तगत...

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