‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

मैं और मजदूर

//मैं और मजदूर//

मैं एक अदना-सा
प्रायवेट स्कूल का टिचर
और वह
श्रम साधक मजदूर ।

मैं दस बजे से पांच बजे तक
चारदीवार में कैद रहता
स्कूल जाने के पूर्व
विषय की तैयारी
स्कूल के बाद पालक संपर्क
और वह
नौ बजे से दो बजे तक
श्रम की पूजा करता
इसके पहले और बाद
दायित्व से मुक्त ।

मेरे ही स्कूल में
उनके बच्चे पढ़ते हैं
जिनका मासिक शुल्क
महिने के महिना
अपडेट रहता है
मेरे बच्चे का
मासिक शुल्क
चार माह से पेंडिग है ।

किराने के दुकान एवं राशन दुकान के
बही-खाते में मेरा नाम बना ही रहता है
शायद वह दैनिक नकद खर्च करता है

मेरे बचपन का मित्र
जो मेरे साथ पढ़ता था
आठवी भी नही पढ़ पाया
आज राजमिस्त्री होकर
चार सौ दैनिक कमा लेता है
और इतने ही दिनों में
मैं एम.ए.डिग्री माथे पर चिपका कर
महिने में पाँच हजार कमा पाता हूँ ।

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