निज मुख दिखता है नहीं, तुम्ही कहो हे! मित्र ।
तुम्हीं कहो हे! मित्र, चेहरा मेरा कैसा ।
दुनिया से है भिन्न, या कि वैसा का वैसा ।।
बंधा पड़ा "रमेश", स्याह मन के काँखों से।
कैसे अंतस देह, पढ़े अपनी आँखों से ।।
Ramesh Kumar Chauhan
विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।
Manwata kaha hai ?
AAPNI AAKHO SE DEKHO
MAI DESH KA ..
जिंदगी और कुछ भी नहीं, बस एक बहती हुई नदी है
छल-छल, कल-कल, सतत् प्रवाहित होना गुण जिसका
सुख-दुख के तटबंधों से बंधी, जो अविरल गतिमान
पथ के हर बाधाओं को, रज-कण जो करती रहती
जीवन वेग कहीं त्वरित कहीं मंथर हो सकता है
पर प्रवाहमान प्राणपन जिसका केवल है पहचान
हौसलों के बाढ़ से बह जाते अवरोध तरु जड़ से
पहाड़ भी धूल धूसरित हो जाते इनसे टकरा कर
कभी टिप-टिप कभी झर-झर कभी उथली कभी गहरी
कभी पतली कभी मोटी रेखा धरा पर करती अंकित
जब मिट जाये इनकी धारा रेखा, बंद हो जाये चाल
नदी फिर नदी कहां अब, अब केवल पार्थिव देह
-रमेश चौहान
तेरे नैनों का निमंत्रण पाकर
मेरी धड़कन तुम्हारी हुई ।
मेरे नैना तुम्हारी अंखियों से,
पूछा जब एक सवाल
तुम में ये मेरा बिम्ब कैसा ?
पलकों के ओट पर छुपकर
वह बोल उठी- "मैं तुम्हारी दुलारी हुई ।"
नैनों की भाषा जुबा क्या समझे
कहता है ना तुझसे मेरा वास्ता
यह तकरार नहीं तो क्या था ?
नयनों ने फिर नैनों से पूछा
वो प्यार नहीं तो क्या था ??
-रमेश चौहान
छोड़ बहत्तर सौ करें, आरक्षण है नेक ।
संविधान में है नहीं, मानव-मानव एक ।।
मानव-मानव एक, कभी होने मत देना ।
बना रहे कुछ भेद, स्वर्ण से बदला लेना ।।
घुट-घुट मरे "रमेश", होय तब हाल बदत्तर ।
मात्र स्वर्ण को छोड़, करें सौ छोड़ बहत्तर ।।
श्रीमुख से है जो निसृत, कहलाता श्रुति वेद ।
मानव-तन में भेद क्या, नहीं जीव में भेद ।।
नहीं जीव में भेद, सभी उसके उपजाये ।
भिन्न-भिन्न रहवास, भिन्न भोजन सिरजाये ।।
सबका तारणहार, मुक्त करते हर दुख से ।
उसकी कृति है वेद, निसृत उनके श्रीमुख से ।।
-रमेश चौहान
अटल अटल है आपका, ध्रुव तरा सा नाम । बोल रहा हर गांव में, पहुंच सड़क का काम ।। जोड़ दिए हर गांव को, मुख्य सड़क के साथ। गांव शहर से जब जुड़ा...