गुंज रहीं हैं सिसकियां
रूदन, क्रन्दन, आहें
मरीजो के
रोगो से जुझते हुये
अस्पताल में ।
अट्हास कर रहा है,
मौत
अपने बाहों में भरने बेताब
हर किसी को, हर पल
अस्पताल में ।
किसी कोने पर
दुबकी बैठी है
जिंदगी
एक टिमटिमाते
लौ की तरह
अस्पताल में ।
द्वंद चल रहा है
जीवन और मौत में
आशा और निराशा में
घने अंधेरे को चिर सकता है
धैर्य का मंद दीपक
अस्पताल में ।
धैर्य और आशा के अस्त्र ले
निरंतर लड़ रहें हैं
मौत को परास्त करने
परम योद्धा
चिकित्सक
अस्पताल में ।
मौत प्रबल होकर भी,
परास्त हो रहा
चाहे कभी कभी
विजयी एहसास करे
असत्य की तरह
अस्पताल में ।
रूदन, क्रन्दन, आहें
मरीजो के
रोगो से जुझते हुये
अस्पताल में ।
अट्हास कर रहा है,
मौत
अपने बाहों में भरने बेताब
हर किसी को, हर पल
अस्पताल में ।
किसी कोने पर
दुबकी बैठी है
जिंदगी
एक टिमटिमाते
लौ की तरह
अस्पताल में ।
द्वंद चल रहा है
जीवन और मौत में
आशा और निराशा में
घने अंधेरे को चिर सकता है
धैर्य का मंद दीपक
अस्पताल में ।
धैर्य और आशा के अस्त्र ले
निरंतर लड़ रहें हैं
मौत को परास्त करने
परम योद्धा
चिकित्सक
अस्पताल में ।
मौत प्रबल होकर भी,
परास्त हो रहा
चाहे कभी कभी
विजयी एहसास करे
असत्य की तरह
अस्पताल में ।