‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

Nawakar

Ramesh Kumar Chauhan

मोहन प्यारे

मोहन प्यारे हो कहां, ढ़ूढ़ रहा मन चैन । रात दिवस सब एक सा, लगे श्याम बिन रैन । लगे श्याम बिन रैन, कहे ग्वालन कर जोरे। जैसे जल बिन मीन, दशा मन की है मोरे । बांध रखे हो आप, किये हम पर सम्मोहन । अब आ जाओ पास, कहां हो प्यारे मोहन...

सत्य को ग्रहण लगा है

कितने झूठे लोग हैं, झूठ रहे इठलाय । न्याय खोजता सत्य को, सत्य कौन बतलाय । सत्य कौन बतलाय, सत्य को ग्रहण लगा है । आंखे पट्टी बांध, न्याय भी आज ठगा है । एक चांद ही सत्य, झूठ तो तारे जितने । धनी बली है मुक्त, बंद निर्धन हैं कितने...

इंसा सारे सोय हैं

सैनिक सीमा पर खड़े, देखे अपना देश । भीतर भी दुश्मन अड़ा, धर भाई का वेष ।। कोयल कागा साथ में, बैठे हैं इक डाल । काग शिकारी से मिला, कोयल है बेहाल ।। पाले खतपतवार को, छोड़ फसल की मोह । खेत बचे ना जब यहां, तब करना तुम द्रोह ।। बाजे है थोथा चना, घना बाजरा मौन । पुलिस चोर के साथ है, हमें बचावे कौन ।। जाग रहे उल्लू यहां, उड़ उड़ कर हर डाल । इंसा सारे...

होली

1. ये रंग बदन रंगा नही श्वेत हैं वस्त्र रंग गया मन प्रीत के रंग लिये । 2.मैं होली उमंग शरारत मेरे दामन हैं बांटने आई हूॅ हॅसी, खुशी, एकता । ...

होली तो है यार

माने काहे हो बुरा, होली तो है यार । आज नही तो कब करूं, मस्ती का इजहार ।। मस्ती का इजहार, करूं बाहों में भरकर । माथे तिलक गुलाल, रंग से काया तर कर ।। मैं हूॅं तेरा यार, तुझे रब मेरा जाने । रंग इसे तो आज, प्रीत का बंधन माने ।। ...

आई होली आई होली

आई होली आई होली, मस्ती भर कर लाई ।झूम झूम कर बच्चे सारे, करते हैं अगुवाई । देखे बच्चे दीदी भैया, कैसे रंग उड़ाये ।रंग अबीर लिये हाथों में, मुख पर मलते जाये ।देख देख कर नाच रहे हैं, बजा बजा कर ताली ।रंगो इनको जमकर भैया, मुखड़ा रहे न खाली ।इक दूजे को रंग रहें हैं, दिखा दिखा चतुराई ।आई होली आई होली....... गली गली में बच्चे सारे, ऊधम खूब मचाये...

पिता ना कमतर माॅ से

मां से कमतर है कहां, देख पिता का प्यार । लालन पालन साथ में, हमसे करे दुलार । हमसे करे दुलार, पीर अपने शिश मढ़ते । मातु गढ़े है देह, पिता भी मन को गढ़ते ।। बनकर मेरे ढाल, रखे हैं मुझको जाॅ से । पूर्ण करे हर चाह, पिता ना कमतर मां से।। ...

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