‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

Nawakar

Ramesh Kumar Chauhan

कुछ दोहे

एक पहेली है जगत, जीवन भर तू बूझ ।सोच सकारात्मक लिये, तुम्हे दिखाना सूझ ।। अपनी भाषा में लिखो, अपने मन की बात ।हिंदी से ही हिंद है, जिसमें प्रेम समात ।। गद्दारों की गद्दारी से , बैरी है मुस्काए ।गद्दारों को मार गिराओ , बैरी खुद मर जाए ।। राधा-माधव प्रेम का, प्रतिक हमारे देश ।फिर भी दिखते आज क्यों, विकृत प्रेम का वेश ।। नहीं चाहिये प्रेम...

आस्था

मंदिर मस्जिद गुरुद्वारे का संत फकीर गुरु पैगंबर ईश्वर का अस्तित्व है केवल मेरी मान्यता से जिससे जन्मी  है मेरी आस्था  । मेरी आस्था किसी अन्य की आस्था से कमतर नहीं है न हीं उनकी आस्था मेरी आस्था से कमतर है फिर भी लोग क्यों दूसरों की आस्था पर चोट पहुंचाकर खुद को बुद्धिजीवी कहते हैं । मुझे अंधविश्वासी कहने वाले खुद पर झांक कर देखें ...

हर सवाल का जवाब एक सवाल

हर सवाल के जवाब से पैदा होता है एक नया सवाल जिसका जवाब पैदा करता है पुन: एक नया सवाल सवालों के जवाबों का चल पड़ता है लक्ष्यहीन भटकाव इसमें ठहराव तब आता है जब सवाल का जवाब एक सवाल ही हो क्योंकि हर सवाल का जवाब केवल एक सवाल होता है...

जीने की कला

जग में जीने की कला,  जग से लेंवे सीख । जीवन जीने की कला, मिले न मांगे भीख  ।। मिले न मांगे भीख,  सफलता की वह  कुंजी । व्यक्ति वही है सफल,  स्वेद श्रम जिनकी पूंजी ।। चलते रहो "रमेश",  रक्त बहते ज्यो  रग में । चलने का यह काम, नाम है जीवन जग में ...

वैभवशाली भारत होवे

हे मातृभूमि ममता रूपा, प्रतिपल वंदन तुझको । सुखमय लालन-पालन करतीं, गोद बिठाकर मुझको । मंगलदात्री पुण्यभूमि माँ, तन-मन अर्पण तुझको । तेरे ही हित काज करूँ मैं, इतना बल दे मुझको ।। हे सर्वशक्तिशाली भगवन, कोटि नमन है तुझको । मातृभूमि की सेवा करने, बुद्धि शक्ति दे मुझको ।। शक्ति दीजिये इतनी भगवन, दुनिया लोहा माने । ज्ञान-बुद्धि जन मन में भर दें, दुनिया...

हर संकटों से जुझने का संकल्प दें ।

हे विधाता नही बदनला मुझे तेरा विधान, हर दुःख- सुख में मेरा कर दे कल्याण । चाहे जितना कष्ट मेरे भाग्य में भर दे, पर हर संकटों से जुझने का संकल्प दें । जो संकट आये जीवन में उनसे मैं दो दो हाथ करू, संकट हो चाहे जितना विकट उनसे मै कभी न डरू । चाहे मेरे हर पथ पर कंटक बिखेर दें, पर उन कंटकों में चलने का साहस भर दें । कष्टो से विचलित हो अपनी मानवता...

सच्चे झूठे कौन

कल का कौरव  आज तो, पाण्ड़व नाम धराय । कल का पाण्ड़व आज क्यों, खुद को ही बिसराय ।। खुद को ही बिसराय, दुष्ट कलयुग में आकर । स्वर्ण मुकुट रख शीश, राज सिंहासन पाकर । ज्ञाता केवल कृष्ण, ज्ञान जिसको हर पल का । सच्चे झूठे कौन, याद किसको है कल का ।। ...

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