‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

Nawakar

Ramesh Kumar Chauhan

साचा उत्तर दीजिये

साचा उत्तर दीजिये, क्यों बैठे हो मौन ? प्यार और संबंध में, पहले आया कौन ?? पहले आया कौन, फूल या फूल सुगंधी ? रिश्ता से है प्यार, या प्यार से संबंधी ?? पूछे प्रश्न रमेश, नहीं कोई अपवाचा । केवल कहिये सत्य, प्रश्न का उत्तर साचा ।। ...

नर-नारी एक समान

नर बेटा है प्रेमी है, पति है दामाद है पिता है दादा है दादी है विदुर भी है कि राष्ट्रपिता है विवेकानंद भी और कालों के काल महादेव । महादेव अर्धनारीश्वर बन कर बतलाया नर-नारी एक समान न नर भारी न नारी ।। -रमेशकुमार सिंह चौहा...

महिलाएं भी इसी पत्रिका से करे निमंत्रण स्वीकार

महिलाएं भी इसी पत्रिका से करे निमंत्रण स्वीकार मेरे हाथ पर निमंत्रण कार्ड है पढ़-पढ़ कर सोच रहा हूॅ विभाजनकारी रेखा देख खुद को ही नोच रहा हूॅं कर्तव्यों की डोर शिथिल पड़ी अकड़ रहा अधिकार भाभी के कहे भैया करते भैया के कहे पर भाभी घर तो दोनों का एक है एक घर के दो चाबी अर्धनारेश्वर आदिदेव हैं जाने सकल संसार मेरा-तेरा, तेरा-मेरा गीत गा रहा है कौन प्रश्न,...

प्रश्न उठता है तब से

तब से लेकर आज तक, दिखे एक ही हाल । मुद्दा यह कश्मीर का, फँसा हूआ किस चाल ।। फँसा हूआ किस चाल, चीन अक्साई बनकर । घेर रखे कश्मीर, पाक तब से अब तनकर ।। बांट रहें है देश, मिले आजादी जब से । भारत के हैं कौन, प्रश्न उठता है तब से । ...

उपेक्षित रहे न बेटा

बेटा बेटी एक है, इसमें नहीं सवाल । पढ़ी लिखीं हर बेटियां, करती नित्य कमाल ।। करती नित्य कमाल, खुशी देती हैं सबको । बेटा क्यों कमजोर, लगे अब दिखने हमको ।। चिंता करे ‘रमेश‘, बढ़े ना क्यों दुलहेटा । जरा दीजिये ध्यान, उपेक्षित रहे न बेटा ।। (दुलहेटा-दुलारा बेटा) ...

कुछ समझ नही पाता

मैं गदहा घोंचू हॅूं कुछ समझ नही पाता मैं भारत को आजाद समझता वे आजादी के लगाते नारे जिसे मैं बुद्धजीवी कहता उनसे वे निभाते भाईचारे अपने वतन को जो गाली देता राष्ट्र भक्त बन जाता मैं धरती का सेवक ठहरा वे कालेज के बच्चे मेरी सोच सीधी-सादी वो तो ज्ञानी सच्चे माँ-बाप को घाव देने वाला श्रवण कुमार कहलाता मैं कश्मीर का निष्कासित पंड़ित वे कश्मीर के करिंदे मेरे...

एक राष्ट्र हो किस विधि

एक-दूजे के पूरक होकरयथावत रखें संसार पक्ष-विपक्ष राजनीति मेंजनता के प्रतिनिधिप्रतिवाद छोड़ सोचे जराएक राष्ट्र हो किस विधि अपने पूँछ को शीश कहतेदिखाते क्यों चमत्कार हरे रंग का तोता रहताजिसका लाल रंग का चोंचएक कहता बात सत्य हैदूजा लेता खरोच सत्य को ओढ़ाते कफनसंसद के पहरेदार सागर से भी चौड़े हो गयेसत्ता के गोताखोरचारदीवारी के पहरेदार हीनिकले...

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