‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

Nawakar

Ramesh Kumar Chauhan

नित्य ध्येय पथ पर चलें....

नित्य ध्येय पथ पर चलें, जैसे चलते काल ।सुख दुख एक पड़ाव है, जीना है हर हाल ।। रूके नही पल भर समय, नित्य चले है राह ।रखे नही मन में कभी, भले बुरे की चाह ।पथ पथ है मंजिल नही, फॅसे नही जंजाल ।नित्य ध्येय पथ पर चलें.... जन्म मृत्यु के मध्य में, जीवन पथ है एक ।धर्म कर्म के कर्म से, होते जीवन नेक ।।सतत कर्म अपना करें, रूके बिना अनुकाल ।नित्य ध्येय...

भारती भारत की जय

जय जय जय मां भारती, जय जय भारत देश । हिन्दू मुस्लिम एक हों, छोड़ सभी विद्वेष ।। छोड़ सभी विद्वेष, धर्मगत जो तुम पाले । राष्ट्र धर्म हों एक, वतन के हों रखवाले ।। बढ़े प्रेम विश्वास, तजें अपने मन का भय । बोलें मिलकर साथ, भारती भारत की जय ।। ...

भींज रहा मन तरबतर

अधर शांत खामोश है, नैन रहें हैं बोल । मन की तृष्णा लालसा, जा बैठे चषचोल ।। (चशचोल-पलक) नैनों की भाषाा समझ, नैनों ने की बात । प्रेम पयोधर घुमड़ कर, किये प्रेम बरसात ।। भींज रहा मन तरबतर, रोम रोम पर नेह । हृदय छोड़ मन बावरा, किये नैन को गेह ।। भान देह का ना रहे, बोले जब जब नैन । नैन नैन में गुॅथ गया, पलक न बोले बैन ।। खड़ी हुई हे बूत सी, हांड मांस...

मोहन प्यारे

मोहन प्यारे हो कहां, ढ़ूढ़ रहा मन चैन । रात दिवस सब एक सा, लगे श्याम बिन रैन । लगे श्याम बिन रैन, कहे ग्वालन कर जोरे। जैसे जल बिन मीन, दशा मन की है मोरे । बांध रखे हो आप, किये हम पर सम्मोहन । अब आ जाओ पास, कहां हो प्यारे मोहन...

सत्य को ग्रहण लगा है

कितने झूठे लोग हैं, झूठ रहे इठलाय । न्याय खोजता सत्य को, सत्य कौन बतलाय । सत्य कौन बतलाय, सत्य को ग्रहण लगा है । आंखे पट्टी बांध, न्याय भी आज ठगा है । एक चांद ही सत्य, झूठ तो तारे जितने । धनी बली है मुक्त, बंद निर्धन हैं कितने...

इंसा सारे सोय हैं

सैनिक सीमा पर खड़े, देखे अपना देश । भीतर भी दुश्मन अड़ा, धर भाई का वेष ।। कोयल कागा साथ में, बैठे हैं इक डाल । काग शिकारी से मिला, कोयल है बेहाल ।। पाले खतपतवार को, छोड़ फसल की मोह । खेत बचे ना जब यहां, तब करना तुम द्रोह ।। बाजे है थोथा चना, घना बाजरा मौन । पुलिस चोर के साथ है, हमें बचावे कौन ।। जाग रहे उल्लू यहां, उड़ उड़ कर हर डाल । इंसा सारे...

होली

1. ये रंग बदन रंगा नही श्वेत हैं वस्त्र रंग गया मन प्रीत के रंग लिये । 2.मैं होली उमंग शरारत मेरे दामन हैं बांटने आई हूॅ हॅसी, खुशी, एकता । ...

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