‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

Nawakar

Ramesh Kumar Chauhan

मचा रहे आतंक क्यों

मचा रहे आतंक क्यों, मिलकर इंसा चार । कट्टर अरू पाषाण हो, बने हुये हैं भार ।। क्यों वह अपने सोच को, मान रहें हैं सार । भांति भांति के लोग हैं, सबके अलग विचार ।। आतंकवाद के जनक, कट्टरता को जान । मानवता के शत्रु को, नही धर्म का ज्ञान ।। सभी धर्म का सार है, मानव एक समान । चाहे पूजा भिन्न हो, करें खुदा का मान ।। ...

प्यार होता है अंधा

कहते थे जो लोग, प्यार होता है अंधा । दंग रहा मैं देख, आज इसमें भी धंधा ।। एक देव का हार, चढ़े दूजे प्रतिमा पर । पूजारन की चाह, मिले प्रसाद मुठ्ठी भर ।। पत्थर का वह देव, कभी लगते त्रिपुरारी । कभी कभी वह होय, रास करते बनवारी ।। सीता का वह राम, खोज ना पाये रावण । राधा बनी अधीर, प्यार लगते ना पावन ।। ...

दीवाली के चित्र

छन्न पकैया छन्न पकैया, बात बताऊं कैसे ।दीवाली में हमको भैया, चित्र दिखे हैं जैसे ।। छन्न पकैया छन्न पकैया, बेटा पूछे माॅं से ।कहते किसको उत्सव मैया, हमें बता दो जाॅं से ।। छन्न पकैया छन्न पकैया, उनके घर रोशन क्यों ।रह रह कर तो आभा दमके, चमक रहे बिजली ज्यों ।। छन्न पकैया छन्न पकैया, हाथ माथ पर धर कर ।सोच रही थी भोली-भाली, क्या उत्तर दूं तन कर...

राजनीति के खेल में

राजनीति के खेल में, गूंजे एक सवाल । नैतिकता रख ताक पर, क्यों कर रहे बवाल ।। बोटी बोटी नोच ले, बैठे शव पर बाज । जीवित मानव मांस को, मानव खाये आज ।। कौन पखारे है चरण, कौन बने भगवान । तारक सम नेता करे, भोले जन का ध्यान ।। राजनीति के खेल को, देखें आंखें खोल । शकुनि देत संकेत जब, पासा बोले बोल । कौरव दल के शोर में, भीष्म पितामह मौन । खड़ी धर्म की द्रोपदी,...

सीखें जीने की कला

सीखें जीने की कला, सिखा गयें हैं राम । कैसे हो संबंध सब, कैसे हो सब काम ।। कैसे हो सब काम, गढ़े जो नव मर्यादा । नातों में अपनत्व, हृदय में नेक इरादा ।। कर्म रचे संसार, कर्मफल एक सरीखे । मानवता है धर्म, मनुज बनना सब सीखें ।। ...

राम को जानें कैसे

कैसे हों संबंध सब, हमें दिखाये राम । तन की सीमा बंधकर, किये सभी हैं काम ।। किये सभी हैं काम, मनुज जो तो कर पाये। बेटा भाई मित्र, सभी संबंध निभाये । सुन लें कहे ‘रमेश‘, मनुज हो इनके जैसे । केवल पढ़कर राम, राम को जानें कैसे । ...

तेरे नाम का, हमको है सहारा

1.         है नवरात आस्था का महापर्व जगमगात ज्योति घट घट में प्राणी प्राणी हर्शात ।। 2. पापों का घेर, मां भवानी तोडि़ये । सुनिये टेर, स्नेह से प्रीत गूथ इंसा इंसा जोडि़ये ।। 3. तेरे नाम का हमको है सहारा । भव सागर एक अंधी डगर, नही कोई हमारा ।। 4. एक नजर इधर भी देखिये । फैल रहें हैं, भ्रश्टाचार की बेल, मां इसे...

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