‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

Nawakar

Ramesh Kumar Chauhan

आ लौट चलें

 आ लौट चलें,चकाचौंध से, दृश्य प्रकाश परशोर-गुल से, श्रव्य ध्वनि परसपनों की निद्रा से, भोर उजास परआखिर शाखाओं का अस्तित्व मूल से तो ही है ।आ लौट चलेंगगन की ऊँचाई से, धरा धरातल पर सागर की गहराई से, अवलंब भू तट परशून्य तम अंधियारे से, टिमटिमाते लौ के हद परआखिर मन के पर को भी थाह चाहिए यथार्थ का ।।आ लौट चलेंदूसरों के कंधों से, अपने पैरों पररील लाइफ...

ओम

भोले बाबा शंभु हर,  हर-हर शंकर ओम ।बोल बम्ब की नाद से, गूंज रहा है व्योम ।।गूंज रहा है व्योम, बम्ब भोले का नारा ।बोल बम्ब जयकार, लगे भक्तों को प्यारा ।।कांवर लेकर कांध,  राह पर भगतन बोले ।करें कामना पूर्ण, शंभु शिव बाबा भोले...

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