‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

Nawakar

Ramesh Kumar Chauhan

नारी पच्चीसा

नारी! देवी तुल्य हो, सर्जक पालक काल । ब्रह्माणी लक्ष्मी उमा, देवों का भी भाल ।। देवों का भी भाल, सनातन से है माना । विविध रूप में आज, शक्ति  हमने पहचाना ।। सैन्य, प्रशासन, खेल, सभी क्षेत्रों में भारी । राजनीति में दक्ष, उद्यमी भी है नारी ।।1।। नारी का पुरुषार्थ तो, नर का है अभिमान । नारी करती आज है, कारज पुरुष समान ।। कारज पुरुष समान, अकेली...

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