‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

Nawakar

Ramesh Kumar Chauhan

केवल ईश्वर एक है

कोटि कोटि है देवता,  कोटि कोटि है संत । केवल ईश्वर एक है, जिसका आदि न अंत ।। पंथ प्रदर्शक गुरु सभी, कोई ईश्वर तुल्य । फिर भी ईश्वर भिन्न है, भिन्न भिन्न है मूल्य ।। आँख मूंद कर बैठ जा, नही दिखेगा दीप । अर्थ नही इसका कभी, बूझ गया है दीप ।। बालक एक अबोध जब,  नही जानता आग । क्या वह इससे पालता, द्वेष या अनुराग ।। मीठे के हर स्वाद में, निराकार...

प्रकृति और विज्ञान में, पहले आया कौन

प्रकृति और विज्ञान में, पहले आया कौन । खोज विज्ञान कर रहा, सत्य प्रकृति है मौन ।। समय-समय पर रूप को, बदल लेत विज्ञान । कणिका तरंग  जान कर,  मिला द्वैत का ज्ञान ।। सभी खोज का क्रम है, अटल नही है एक । पहले रवि था घूमता, अचर पिण्ड़ अब नेक ।। नौ ग्रह पहले मान कर, कहते हैं अब आठ । रंग बदल गिरगिट सदृश, दिखा रहे हैं ठाठ ।। जीव जन्म लेते यथा, आते...

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