(उल्लाला छंद)
ममता स्मृति क्लब अति पुनित, ममता का ही मर्म है ।
प्रेम स्नेह ही बांटना, इसका पावन धर्म है ।।
डॉक्टर अजीत प्रेम से, घुले मिले थे गांव में ।
डॉक्टर हो वह दक्ष थे, कई खेल के दांव में ।।
प्यारी सुता अजीत की, प्यारी थी इस गांव को ।
सात वर्ष की आयु में, जो तज दी जग ठांव को ।।
उस ममता की स्मृति में, ग्रामीणों का कर्म है ।
जाति धर्म अंतर रहित, समरसता का मर्म है ।
शान नवागढ़ का यही, हम सबका मान है ।
चवालीस से अब तलक, बना हुआ पहचान है ।।
खेल-खेल में प्रेम का, सुधा नीर बरसा रही ।
बाल जवा अरू वृद्ध को, आज तलक हरषा रही । ।
खेल संगठन ही नही, यह इक केवल खेल का ।
सामाजिक संस्था रहा, ग्रामीणों के मेल का ।।
खेल कबड्डी खेल कर, रचा एक इतिहास है।
खेले वॉलीवाल भी, जिनका आज प्रकाश है ।।
नेत्र शिविर रचकर कभी, सुयश किये हैं गांव में ।
रक्तदान करके अभी, नाम किये हैं ठांव में ।।
खास आम सब गांव के, निर्धन अरू धनवान भी ।
सेवा करने आय जो, गांव के मेहमान भी ।
गढ़े पाठ सौहार्द के, ममता क्लब के हाथ हो।
हिन्दू मुस्लिम सिक्ख अरू, ईसाई सब साथ हो ।
जाने है इस मर्म को, खेल भावना धर्म है ।
समरसता बंधुत्व ही, ममता क्लब का कर्म है ।