धर्म बचावन को जग में प्रभु,
ले अवतार सदा तुम आते ।
स्वर-प्रेम पटेल
रचना-रमेश चौहान
https://drive.google.com/file/d/0B_vVk5gISWv3RnAzbEp0NVItdHM/view?usp=shari...
श्रीरामरक्षा चालिसा
श्रीरामरक्षा चालिसा
स्वर-प्रेम पटेल
रचना- रमेश चौहान
स्रोत-श्रीरामरक्षाhttps://drive.google.com/file/d/0B_vVk5gISWv3U0dJTDBkb2M4cWs/view?usp=sharing स्त्रो...
प्रकाश पर्व
है गुरू नानक देव के, अति पावन उपदेश ।
मानव मानव को दिये, मानवता संदेश ।।
एक ओंकार है जगत,ईश्वर एक प्रदीप ।
सृष्टि आरती हैं करे, चांद सूर्य के दीप ।।
तारे सजते मोति सम, नभ तो थाल स्वरूप ।
सागर देते अर्घ हैं, चंदन साजे धूप ।।
सबद याद रख एक तू, मानव मानव एक ।
मानवता ही धर्म है, धर्म नही अनलेख ।
ऐसे नानक देव के, करते हम अरदास ।
उनके प्रकाश...
चलो भगायें रोग, गंदगी दूर भगायें ।
चलो भगायें रोग, गंदगी दूर भगायें ।हाथ से हाथ जोड़, गीत सब मिलकर गायेंं ।
उनके हाथ कुदाल, और है टसला रापा ।
मिले सयाने चार, ढेर पर मारे छापा ।।करते नव आव्हान, चलो अब देश बनायें ।चलो भगायें रोग, गंदगी दूर भगायें ।
ऐसे ऐसे लोग, दिखे हैं कमर झुकाये ।जो जाने ना काम, काम ओ आज दिखाये ।बोल रहे वे बोल, चलो सब हाथ बटायें ।चलो भगायें रोग, गंदगी दूर...
ये कचरे का ढेर भी, पूछे एक सवाल
करे दिखावा क्यों भला, ऐसे सारे लोग ।करते हैं जो गंदगी, खाकर छप्पन भोग।।
ये कचरे का ढेर भी, पूछे एक सवाल ।कैसे मैं पैदा हुआ, जिस पर मचे बवाल ।।
मर्म सफाई के भला, जाने कितने लोग ।अंतरमन की बात है, जैसे कोई योग ।।
नेता अरू सरकार से, ये कारज ना होय ।जन जन समझे बात को, इसे हटाना जोय ।।
गांधी के इस देश में, साफ सफाई गौण ।
गांधी के उस विचार...
मचा रहे आतंक क्यों
मचा रहे आतंक क्यों, मिलकर इंसा चार ।
कट्टर अरू पाषाण हो, बने हुये हैं भार ।।
क्यों वह अपने सोच को, मान रहें हैं सार ।
भांति भांति के लोग हैं, सबके अलग विचार ।।
आतंकवाद के जनक, कट्टरता को जान ।
मानवता के शत्रु को, नही धर्म का ज्ञान ।।
सभी धर्म का सार है, मानव एक समान ।
चाहे पूजा भिन्न हो, करें खुदा का मान ।।
...
प्यार होता है अंधा
कहते थे जो लोग, प्यार होता है अंधा ।
दंग रहा मैं देख, आज इसमें भी धंधा ।।
एक देव का हार, चढ़े दूजे प्रतिमा पर ।
पूजारन की चाह, मिले प्रसाद मुठ्ठी भर ।।
पत्थर का वह देव, कभी लगते त्रिपुरारी ।
कभी कभी वह होय, रास करते बनवारी ।।
सीता का वह राम, खोज ना पाये रावण ।
राधा बनी अधीर, प्यार लगते ना पावन ।।
...
दीवाली के चित्र
छन्न पकैया छन्न पकैया, बात बताऊं कैसे ।दीवाली में हमको भैया, चित्र दिखे हैं जैसे ।।
छन्न पकैया छन्न पकैया, बेटा पूछे माॅं से ।कहते किसको उत्सव मैया, हमें बता दो जाॅं से ।।
छन्न पकैया छन्न पकैया, उनके घर रोशन क्यों ।रह रह कर तो आभा दमके, चमक रहे बिजली ज्यों ।।
छन्न पकैया छन्न पकैया, हाथ माथ पर धर कर ।सोच रही थी भोली-भाली, क्या उत्तर दूं तन कर...
राजनीति के खेल में
राजनीति के खेल में, गूंजे एक सवाल ।
नैतिकता रख ताक पर, क्यों कर रहे बवाल ।।
बोटी बोटी नोच ले, बैठे शव पर बाज ।
जीवित मानव मांस को, मानव खाये आज ।।
कौन पखारे है चरण, कौन बने भगवान ।
तारक सम नेता करे, भोले जन का ध्यान ।।
राजनीति के खेल को, देखें आंखें खोल ।
शकुनि देत संकेत जब, पासा बोले बोल ।
कौरव दल के शोर में, भीष्म पितामह मौन ।
खड़ी धर्म की द्रोपदी,...
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