‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

Nawakar

Ramesh Kumar Chauhan

सीखें जीने की कला

सीखें जीने की कला, सिखा गयें हैं राम । कैसे हो संबंध सब, कैसे हो सब काम ।। कैसे हो सब काम, गढ़े जो नव मर्यादा । नातों में अपनत्व, हृदय में नेक इरादा ।। कर्म रचे संसार, कर्मफल एक सरीखे । मानवता है धर्म, मनुज बनना सब सीखें ।। ...

राम को जानें कैसे

कैसे हों संबंध सब, हमें दिखाये राम । तन की सीमा बंधकर, किये सभी हैं काम ।। किये सभी हैं काम, मनुज जो तो कर पाये। बेटा भाई मित्र, सभी संबंध निभाये । सुन लें कहे ‘रमेश‘, मनुज हो इनके जैसे । केवल पढ़कर राम, राम को जानें कैसे । ...

तेरे नाम का, हमको है सहारा

1.         है नवरात आस्था का महापर्व जगमगात ज्योति घट घट में प्राणी प्राणी हर्शात ।। 2. पापों का घेर, मां भवानी तोडि़ये । सुनिये टेर, स्नेह से प्रीत गूथ इंसा इंसा जोडि़ये ।। 3. तेरे नाम का हमको है सहारा । भव सागर एक अंधी डगर, नही कोई हमारा ।। 4. एक नजर इधर भी देखिये । फैल रहें हैं, भ्रश्टाचार की बेल, मां इसे...

मां आदि भवानी है

हाइकू एक पत्थर भगवान हो गया आस्था से रंगे । आशा विश्वास श्रद्धा जगाये रखे मिट्टी मूरत । मैं भक्त हूं मां आदि भवानी है सृष्टि रचक । मातु बिराजे श्रद्धा के नवरात कण-कण में । धर्म धारक अधर्म विदारक मातु भवानी । शक्ति दीजिये जग में मानवता अक्षुण रहे । -रमेश चौह...

जग जननी मां आइये ..

जग जननी मां आइये, मेरी कुटिया आज । मुझ निर्धन की टेर सुन, रखिये मेरी लाज ।। निर्धन से तो है भला, कचरा तिनका घास । दीनता के अभिशाप से, दुखी आपका दास ।। मानव सा माने नहीं, जग का सभ्य समाज ।। जग जननी मां आइये ... बेटी बहना है दुखी, देख जगत व्यभिचार । लोक लाज अब मिट रहे, नवाचार की मार ।। लोग यहां घर छोड़ के, दिखला रहे मिजाज । जग जननी मां आइये.... घर-घर...

अफसाना ये प्यार का

अफसाना ये प्यार का, जाने ना बेदर्द । हम हॅस हॅस सहते रहे, बांट रही वह दर्द।। लम्हा लम्हा इष्क में, बहाते रहे अश्क । आशकीय है बेखुदी, इसमें कैसा रश्क ।। वो तो खंजर घोपने, मौका लेती खोज । उनकी लंबी आयु की, करूं दुवा मैं रोज ।। पत्थर पर भी फूल जो, चढ़ते हो हररोज । पत्थर भी भगवान तो, हो जाते इकरोज ।। ...

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