‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

Nawakar

Ramesh Kumar Chauhan

कैसे हम आजाद हैं...

कैसे हम आजाद हैं, है विचार परतंत्र ।अपने पन की भावना, दिखती नहीं स्वतंत्र ।। भारतीयता कैद में, होकर भी आजाद ।अपनों को हम भूल कर, करते उनको याद ।छुटे नही हैं छूटते, उनके सारेे मंत्र । कैसे हम आजाद हैं.... मुगल आक्रांत को सहे, सहे आंग्ल उपहास ।भूले निज पहचान हम, पढ़ इनके इतिहास ।।चाटुकार इनके हुये, रचे हुये हैं तंत्र । कैसे हम आजाद हैं... निज...

झूमे बच्चे हिन्द के, लिये तिरंगा हाथ

झूमे बच्चे हिन्द के, लिये तिरंगा हाथ । हम भारत के लाल है, करते इसे सलाम । पहले अपना देश है, फिर हिन्दू इस्लाम ।। देश धर्म ही सार है, बाकी सभी अकाथ । झूमे...... यहां वहां देख लो, करते सब यशगान ।। आंच आय ना देष को, करे शपथ सम्मान ।। मातृृभूमि के हेतु हम , अर्पण करते माथ । झूमे...... भारत मां के पूत हम, भारतीय है नाम । मातृभूमि के हेतु ही, करते सारे...

वीर शहीदो को नमन

वीर शहीदो को नमन, कर लो देव समान । जिनके कारण आपका, हुआ मान सम्मान ।। सीमा पर जो हैं डटे, रखेे हथेली प्राण । याद करो उनको भला, देकर थोड़ा मान ।। अंत समय जय हिन्द के, मंत्र लिये जो बोल । उनके निज परिवार का, ध्यान रखो दिल खोल ।। .हर मजहब से है बड़ा, देश भक्ति का धर्म । आन बान तो देश है,  समझों इसका मर्म ।। आजादी के यज्ञ में, किये लोग जो होम...

शर्मसार है धर्म

अपना दामन छोड़ कर, देखे सकल जहान । दर्शक होते लोग ये, बनते नही महान ।। उपदेशक सब लोग है, सुने कौन उपदेश । मुखशोभा उपदेश है, चाहे कहे ‘रमेश‘ ।। परिभाषा है धर्म का, धारण करने योग्य । मन वाणी अरू कर्म से, सदा रहे जो भोग्य ।। धरे धर्म के मर्म को, मानस पटल समेट । प्राणी प्राणी एक सा, सबके दुख तू मेट ।।  भेड़ बने वे लोग क्यों, चले एक ही राह । आस्था...

नौ दोहे

1.          शोर शोर का शोर है, शोर करे है कौन ।         काम काज के वक्त जो, बैठे रहते मौन ।। 2. पक्ष और विपक्ष उभय, संसद के हैं अंग । वाक युद्ध अब छोड़ कर, काम करे मिल संग ।। 3.         स्वस्थ सुखद जीवन रहे, होवें आप शतायु । सुयश कीर्ति हो आपका, अजर अमर जग जायु ।। 4. घुमड़ घुमड़...

Blog Archive

Popular Posts

Categories