नये पुराने लोग मिल, खोले अपने राज ।कहां बुरा था दौर ओ, कहां बुरा है आज ।।
वही चांद सूरज वही, वही धरा आकाश ।जीवन के सुख-दुख वही, करें आप विश्वास ।।
लोक लाज मरजाद के, धागे एक महीन ।सोच समझ कर रख कदम, टूटे ना अबिछीन ।।
-रमेश चौहा...
देश भक्त कलाम
तोड़े सरहद धर्म के, सिखा गये जो धर्म ।फसे मजहबी फेर जो, समझे ना यह मर्म ।।समझे ना यह मर्म, समाये कैसे मन में ।महान पुरूष कलाम, हुये कैसे प्रिय जन में ।।देश भक्ति इक धर्म, देश से नाता जोड़े ।छोड़ गये संदेश, कुपथ से नाता तोड़े ।।-रमेश चौह...
कलाम को सलाम

महामना उस जीव को, करते सभी सलाम ।
भारत माॅ के लाल वो, जिनके नाम कलाम ।।
स्वप्न देखने की विधा, जिनसे हम सब पाय ।
किये साकार स्वप्न को, लाख युवा हर्षाय ।।
सफर फर्श से अर्श तक, देखे सकल जहांन ।
कैसे बने कलामजी, सबके लिये महान ।।
देश भक्ति के भाव से, किये सभी वो काज ।
नश्वर...
कुछ दोहे
1. रह रह कर मैं सोचता, बैठे बैठे मौन ।
करे खोखला देश को, आखिर है वह कौन ।।
2 .देश भक्ति का राग सुन, मैं रहता हूॅ मुग्ध ।
दशा देख कर देश की, हो जाता हूॅॅ क्षुब्ध ।।
3 .तुुम सा ही हूॅ मैं यहां, रखे हाथ पर हाथ ।
बैठा साधे मौन हूॅ, देते उनको साथ ।।
4 .ढोल रखे संस्कार का, बजा रहा है कौन ।
सुन कर तेरे शोर को, वह क्यों बैठा मौन ।।
5. परम्परा की...
समय
मंगल पर डाले नजर, रखे कदम जो चांद ।
वही समय को कभी भी, घेर सके ना मांद ।।
घेर सके ना मांद, समय से ओ सब हारे ।
दिये चुनौती सृष्टि, खड़े हैं जो मतवारे ।।
समय बड़ा बलवान, फसे ना वह तो दंगल ।
चले समय के साथ, समय करते हैं मंगल ।।
...
नारी नर एक समान
नारी तेरे कितनेे रूप, सभी रूप में तू अद्भूत ।मां बहना पुत्री हुई, हुई पत्नि अवधूूत ।।
पिता बन कर लालन किये, पति बन कर पालन किये ।हे पुरूष तुम संतान दे, नारी को नारी कियेे ।।
सृष्टि मेंं नर नारी का,सत्ता सदा समान है।नर से नारी का और नारी से नर का सम्मान है ।।
पूूरक एक दूूसरेे के, बंधे एक दूसरे से ।अस्ितत्व नही है, किसी तीसरे से ।।
एक महिमा मंडित...
झूला-गीत
बांधे अमुवा डार, लिये रेशम की डोरी ।
झूल रही हैं साथ, सभी अलबेली छोरी ।।
श्याम घटा के संग, झूम आये जब सावन ।
डाल डाल सब पात, लगे जब अति मनभावन ।।
अंग अंग प्रति अंग, यौैवना किये सजावन ।
सावन झूला डाल, सभी ओ मन की भोरी ।।
झूल रही हैं साथ, सभी अलबेली छोरी ।।
रिमझिम रिमझिम नीर, जभे सावन बरसाये
बूंद बूंद हर बूंद, देह पर अगन जगाये ।
हवा चले झकझोर, बदन...
सावन झूला-गीत

रेशम की इक डोर से, बांधे अमुवा डार ।
सावन झूला झूलती, संग सहेली चार ।।
सरर सरर झूला चले, उड़ती आॅचल कोर ।
अंग अंग में छाय है, पुरवाही चितचोर ।।
रोम रोम में है भरे, खुशियां लाख हजार ।
सावन झूला झूलती, संग सहेली चार ।।
नव नवेली बेटियां, फिर आई है गांव ।
बाबुल का वह द्वार...
ये अंधा कानून है,
ये अंधा कानून है,
कहतें हैं सब लोग ।
न्यायालय तो ढूंढती, साक्षी करने न्याय ।
आंच लगे हैं सांच को, हॅसता है अन्याय ।।
धनी गुणी तो खेलते, निर्धन रहते भोग । ये....
तुला लिये जो हाथ में, लेती समता तौल ।
आंखों पर पट्टी बंधी, बन समदर्शी कौल ।।
कहां यहां पर है दिखे, ऐसा कोई योग । ये...
दोषी बाहर घूमते, कैद पड़े...
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