
कान्हा मुख पर बासुरी, बोल रही सब राग ।
चेतन की क्या बात है, जड़ में है अनुराग ।।
कान्हा तेरी बासुरी, जादू क्यों फैलाय ।
सुध-बुध अब खुद की नही, नही मुझेे कुछ भाय ।।
कदम डाल तो झूमते, यमुना जल बलखाय ।
नाच रही है धूल कण, कान्हा पद परघाय ।।
पुष्प डाल तब नाचती,...