‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

Nawakar

Ramesh Kumar Chauhan

एक श्रमीक नारी (रोला छंद)

बैठी गिट्टी ढेर, एक श्रम थकीत नारी । माथे पर श्रम श्‍वेद, लस्त कुछ है बेचारी ।। पानी बोतल हाथ, शांत करती वह तृष्‍णा । रापा टसला पास, जपे वह कृष्‍णा कृष्‍णा ।। पी लेती हूॅ नीर, काम है बाकी करना । काम काम रे काम, रोज है जीना मरना ।। मजदूरी से मान, कहो ना तुम लाचारी । मिलकर सारे बोझ, ढोय ना लगते भारी ।। सवाल पापी पेट, कौन ले जिम्मेदारी । एक अकेले आप,...

मेरा अपना गांव (रोला छंद)

मेरा अपना गांव, विश्‍व से न्यारा न्यारा । प्रेम मगन सब लोग, लगे हैं प्यारा प्यारा ।। काका बाबा होय, गांव के बुजुर्ग सारे । हर सुख दुख में साथ, सखा बन काम सवारे ।। अमराई के छांव, गांव के छोरा छोरी । खेले नाना खेल, करे सब जोरा जोरी ।। ग्वाला छेड़े वेणु, धेनु धुन सुन रंभाती । मुख पर लेकर घास, उठा शिश स्नेह दिखाती ।। मोहे पनघट नाद, सखी मिल करे ठिठोली...

दोहावली

अपने समाज देश के, करो व्याधि पहचान । रोग वाहक आप सभी, चिकित्सक भी महान ।। रिश्‍वत देना कोय ना, चाहे काम ना होय । बने घाव ये समाज के, इलाज करना जोय ।। भ्रष्‍टाचार बने यहां, कलंक अपने माथ । कलंक धोना आपको, देना मत तुम साथ ।। रूकता ना बलत्कार क्यों, कठोर विधान होय । च्रित्र भय से होय ना, गढ़े इसे सब कोय ।। जन्म भये शिशु गर्भ से, कच्ची मिट्टी जान...

Blog Archive

Popular Posts

Categories