मेरे माता पिता ही तीर्थ हैं हर धाम से पहले
चला थामे मैं उँगली उनकी नित हर काम से पहले
उठा कर भाल मै चिरता चला हर घूप जीवन का,
बना जो करते सूरज सा पिता हर शाम से पहले
झुकाया सिर कहां मैने कही भी धूप से थक कर,
घनेरी छांव बन जाते पिता हर घाम से पहले
सुना है पर कहीं देखा नही भगवान इस जग में
पिता सा जो चले हर काम के अंजाम से पहले
पिताजी कहते मुझसे पुत्र तुम अच्छे से करना काम
तुम्हारा नाम भी आएगा मेरे नाम से पहले
......................रमेश.....................
मेरे माता पिता ही तीर्थ हैं हर धाम से पहले
चला थामे मैं उँगली उनकी नित हर काम से पहले
उठा कर भाल मै चिरता चला हर घूप जीवन का,
बना जो करते सूरज सा पिता हर शाम से पहले
झुकाया सिर कहां मैने कही भी धूप से थक कर,
घनेरी छांव बन जाते पिता हर घाम से पहले
सुना है पर कहीं देखा नही भगवान इस जग में
पिता सा जो चले हर काम के अंजाम से पहले
पिताजी कहते मुझसे पुत्र तुम अच्छे से करना काम
तुम्हारा नाम भी आएगा मेरे नाम से पहले
......................रमेश....
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