‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

Nawakar

Ramesh Kumar Chauhan

6 कुण्डलियां

1.गणेश वंदना विघ्न विनाश्‍ाक गणराज हे, बारम्बार प्रणाम । प्रथम पूज्य तो आप हैं, गणपति तेरो नाम ।। गणपति तेरो नाम, उमा शिव के प्रिय नंदन । सकल चराचर मान, किये माँ-पितु का वंदन ।। चरणन पड़ा ‘रमेश’, मान कर मन का शासक  । मेटें मेरे कष्ट, भाग्य जो विघ्न विनाशक ।। 2. सरस्वती वंदना वीणा की झंकार से, भरें राग उल्लास । अज्ञानता को नाश कर, देवें ज्ञान...

गणेश स्तुति

गणेश वंदना दोहा - जो गणपति पूजन करे,  ले श्रद्धा विश्वास । सकल आस पूरन करे, भक्तों के गणराज ।।     चौपाई हे गौरा  गौरी के लाला । हे लंबोदर दीन दयाला । । सबसे पहले तेरा सुमरन  । करते हैं हम वंदन पूजन ।।1।। हे प्रभु प्रतिभा  विद्या दाता । भक्तों के तुम भाग्य विधाता वेद पुराण सभी गुण गाये। तेरी महिमा अगम बताये ।।2।। पिता...

शिक्षक दिवस दोहावली

गुरू गुरूता गंभीर है, गुरू सा कौन महान । सद्गुरू के हर बात को, माने मंत्र समान । लगते अब गुरूपूर्णिमा, बिते दिनों की बात । मना रहे शिक्षक दिवस, फैशन किये जमात । शिक्षक से जब राष्ट्रपति, बन बैठे इस देश । तब से यह शिक्षक दिवस,  मना रहा है देश । कैसे यह शिक्षक दिवस, यह नेताओं का खेल । किस शिक्षक के नाम पर, शिक्षक दिवस सुमेल ।। शिक्षक अब ना गुरू...

जय हो जय हो भारत माता (छंदबद्व रचना)

दोहा ‘ भारत माता है भली, भली स्वर्ग से जान । नमन करते शिश झुका, देव मनुज भगवान् ।। चैपाई - लहर लहर झंडा लहराता । सूरज पहले शीश झुकाता । जय हो जय हो भारत माता । तेरा वैभव जग विख्याता ।। उत्तर मुकुट हिमालय साजे । उच्च शिखर रक्षक बन छाजे ।। गंगा यमुना निकली पावन । चार-धाम हैं पाप नशावन ।। दक्षिण सागर चरण पखारे ।  गर्जन करते बन रखवारे सेतुबंध...

कर दो अर्पण

शहिदों का बलिदान पुकारता क्यों रो रही है भारत माता । उठो वीर जवान बेटो, भारत माता का क्लेश मेटो । क्यों सो रहे हो पैर पसारे जब छलनी सीने है हमारे । तब कफन बांध आये हम समर, आज तुम भी अब कस लो कमर । तब दुश्मन थे अंग्रेज अकेले आज दुश्मनों के लगे है मेले । सीमा के अंदर भी सीमा के बाहर भी, देष की अखण्ड़ता तोड़ना चाहते है सभी । कोई नक्सली बन नाक में...

वजूद

वजूद, आपका वजूद मेरे लिये है, एक विश्वास । एक एहसास ..... खुशियों भरी । वजूद, आपका वजूद मेरे साथ रहता, हर सुख में हर दुख में बन छाया घनेरी । वजूद, आपका वजूद मेरा प्यार .. ..............‘‘रमेश‘‘...............

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