है कौन सा जुनुन सवार तुझ पर, जो कतले आम मचाते हो,है कौन सा धरम तुम्हारा, जो इंनसानियत को ही नोच खाते हो ।क्या मिला है अभी तक आगें क्या मिल जायेगा,क्यों करते हो कत्ले आम समझ में तुम्हे कब आयेगा ।निर्बल, अबला, असहायों पर छुप कर वार क्यों करते हो,अपने संकीर्ण विचारों के चलते, दूसरों का जीवन क्यों हरते हो ।अपनों को निरीह मनुश्यों का मसीहा क्यों...
मेरी अर्धांगनी
प्यार करती है वह मुझको दुलार करती है,
ख्याल करती वह हर पल मेरे लिये ही जीती है ।
डर से नजरें झुकाती नही सम्मान दिखाती है, साथ हर पल रह कर दुख सुख में साथ निभाती है ।
लड़ाई नोक झोक से जीवन में उतार चढ़ाव लाती है, जिंदगी के हर रंग को रंगती जीवन को रंगीन बनाती है ।
वही मेरी प्रियसी मेरी जीवन संगनीय...
पसीना बहाना चाहिये
दुनिया में दुनियादारी चलानी है, सभी रिस्तेदारी निभानी है,दुनिया का आनंद जो लेनी है, तो पैसा कमाना चाहिये ।
सीर ऊचा करके जीना है, अपने में अपनो को जीना है,अपने दुखों को सीना है, तो पैसा कमाना चाहिये ।
किसी से प्रेम करना है, किसी का दुख हरना है,किसी को खुश करना है, तो पैसा कमाना चाहिये ।
तिर्थाटन करना है, पर्यटन करना है,दान करना है, तो पैसा कमाना...
वह
वह,सौम्य सुंदर,एक परी सी ।वह,निश्चिल निर्मल,बहती धारा सी ।वह,शितल मंद सुगंध,बहती पुरवाही सी ।वह,पुष्प की महक,चम्पा चमेली रातरानी सी ।वह,पक्षियों की चहक,पपिहे कोयल मतवाली सी ।वह,श्वेत प्रकाश,चांद पूर्णमासी सी ।वह,मेरी जीवन की आस,रगो में बहती रवानगी सी ।वह,मेरा विश्वास,जीवन में सांसो की कहानी सी ।वह,मेरा प्रेम,श्याम की राधारानी सी ।...‘‘रमेश‘...
. हे भगवती मां अम्बे तुम्हे नमन

हे भगवती मां अम्बे तुम्हे नमन । मां कर दे हमारे पापा का शमन ।।तू ही है अखिल विश्व माता ।सारा विष्व तेरे ही गुन गाता ।।अपने भक्तो का पुत्रवत करते हो जतन ।हे भगवती मां अम्बे तुम्हे नमन ।।तू ही सर्वशक्ति का आधार है ।कोई न पाये...
जनक भगवान समान
जिसकी ऊंगली पकड़कर चलना सीखा, मेरे लिये जिसने चला घोड़ा सरीखा । मेरे चलने से जिसके मुँह से वाह निकला, मेरे गिरने पर जिसके मुँह से आह निकला । मेरी हर छोटी बड़ी जरूरतों का जिसने रखा ध्यान, जिसने अपने मुॅंह का...
हे भगवान मुझे टी.वी. बना दे
मंदिर में मत्था टेकने बहुत लोग जाते हैं,और अपने मन की मुराद अपने मन में दुहराते हैं ।एक बार एक बच्चा अपने मां बाप के साथ मंदिर आया,सबको भगवान के सामने घुटने टेक बुदबुदाते हुये पाया ।बच्चा ये देख कुछ समझ नही पाया उसने मां से फरमाया,मन में जो हो इच्छा यहां कह दो भगवान सब देते है मां ने बताया ।बच्चे...
जुगाड़
जुगाड़ जुगाड़ से जुगाड़ है, जुगाड़ में कहां बिगाड है, जुगाड़ में जुगाड़ है, जुगाड़ से ही देश बिमार है । जुगाड़ के जुगाड़...
रे मन
ठहर न तू इस ठांव रे मन ।
जाना तुझे और ठांव रे मन ।।
जिस ठांव पर रह जायेगा केवल ठाट रे मन ।
वहां कहां किसी का रहता ठाठ रे मन ।।
तू तो पथ का मात्र पथिक रे मन ।
यह तो है केवल तेरा बाट रे मन ।।
क्या ले जायेगा तू अपने साथ रे मन ।
कर्मो के इस बाजार से तू छांट ले रे मन ।।
किसी के घर ले जाते कुछ न कुछ सौगात रे मन ।
तू भी ले जाके कुछ न कुछ उपहार बाट रे...
क्या अब भी प्रभु धर्म बचते दिखता है
हे गोवर्धन गिरधरी बांके बिहारी,हे नारायण नर हेतु नर तन धारी ।दया करो दया करो हे दया निधान,आज फिर जगा सत्ता का इंद्राभिमान ।।स्वार्थ परक राजनिति की आंधी,आतंकवाद, नक्सवाद की व्याधी ।अंधड़ सम भष्ट्राचार उगाही चंदाभाई भतीजेबाद का गोरख धंधा ।।आकंठ डूबे हुये है जनता और नेताजो ना हुआ द्वापर सतयुग और त्रेता ।नारी संग रोज हो रहे बलत्कार,मासूमो पर असहनीय अत्याचार...
निरंकुश हो चला है समाज

दिल्ली में जो हुआ,जोरदार तमाचा है देश और धरम को ।जितना लताड लगाई जाये, कम है दरिंदों की इस करम को ।।जिम्मेदार है केवल शासन प्रशासन, मिटा दे इस भरम को ।नैतिकता की नही किसी को भान, अनैतिकता पहुंच गई है चरम को ।।निरंकुश हो चला है समाज, मौन पनाह दे रहे...
यह तो भारत माता है

जगमग करती धरती हमारी,यह अखिल विश्व से न्यारा है।उत्तर में हिमालय का किरीट,दक्षिण में रत्नाकर ने चरण पखारा है।जहां के नदी नाला शिला पत्थर,सब में देवी देवता हमारा है ।यहां जंगल झांड़ी पशु पक्षी,सबने हमारा जीवन सवारा है ।क्रिस्मस होली ईद दिवालीसभी त्यौहार हमारा है ।यहां के रिति...
// अब तो आ जाओ साजन मेरे पास //

कब से गये हो तुम सागर पार ,
मुझे छोड़ गये हो मझदार ,
तुझ बिन नही मेरे जीवन की आस,
अब तो आ जाओ मेरे साजन पास ।
तन की हल्दी चिड़ाती मुझे,
हाथों की मेंहंदी रूलाती मुझे,
न साज न श्रृंगार नही अब...
क्या कहू तुझको

क्या कहू वासुदेव का लाला तुझको, या कहू देवकी का लाला तुझको,
ब्रज का दुलारा तु तो नंद का छोरा याशेदा का लाला है ।
क्या कहू गोपाला तुझको,या कहू ग्वाला तुझको,
मोर पंख वाला तु तो गऊवें चराने वाला है ।
क्या कहूं माखनचोर तुझको, या कहूं चितचोर तुझको,
मुख बासुरी वाला तु...
हे दयामयी मां शारदे

हे दयामयी मां शारदे, मेरा जीवन संवार दें ।
तू तो ज्ञान की देवी मां, मुझे केवल ज्ञान का उपहार दें ।।
वर्ण-वर्ण, छन्द-छन्द, सुर-संगीत सभी हैं तेरे कण्ठ ।
कर सोहे वीणा तेरे मां, मेरे जीवन भी में वीणा झंकार दें।।
सप्त सुर सप्त वर्ण से, श्वेत वर्ण तुझे सुहाती...
वाणी
जिहवा रसना ही नही वाणी भी होय ।
छप्पपन भोग नाना रस चटकारे हरकोय ।।
वाणी के पांच श्रृंगार होत है समझे सब कोय ।
सत्य,मृदु, सार , हितैषी और मितव्ययी होय ।।
सदा सत्य बोले जो कर्णप्रिय होय ।
बोल हो कम सही पर सारगर्भित होय ।।
हित अहित विचारिये फिर अपना मुख खोल ।
वाणी से ही मित्र शत्रु और शत्रु मित्र होय ।।
................‘‘रमेश‘‘..................
इससे तो मै बांझ भली थी

कितनी मिन्नते और अरमा से मैंने उसको पाया था ,
कितने लाड एवं प्यार से उसे मैंने गोद में खिलाया था ।
पर मुझे ये क्या पता रे जाल्मि तू तों मां के कोख पर कंलक लगायेगा ,
होके जवा तू हवसी बन मासूम के इज्जत से ही खेल जायेगा ।
तूने मासूम की इज्जत का नही मां की ममता को तार...
बढ़ने दो इन बढ़े हुये कदमों को

बढ़ने दो इन बढ़े हुये कदमों को, इसे क्यों रोकते हो ।
मंजिल है अभी दूर, कठिनाईयों से क्यों डरते हो ।।
ठान लिये हो जब अपना वजूद बनाना तो क्यो रूकते हो ।
चढ़नी है अभी चढ़ाई तो ऊंचाई देख क्यों डरते हो ।।
रात का अंधेरा सदा छाया रहता है ऐसा तुम क्यो सोचते हो ।
अंधेरे को चिरता दिनकर...
हे मानव

हे मानव तुम मानवता को क्यों रहे हो भूल ।
मनव होकर दानव होने पर दे रहे हो तूल ।
धर्मरत कर्म पथ पर आगे बढ़ने का जो था मान ।
शांति और पथ प्रदर्षक का जो था सम्मान ।।
आज हमारे मान सम्मान फांसी में रहे हैं झूल ।
हे मानव तुम मानवता को क्यों रहे हो भूल ।।
जियो और जिने दो का नारा...
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