1
रोटी में होेते नहीं, ढूंढे जो तुम स्वाद ।
होय स्वाद तो भूख में, दिखे नही अपवाद ।।
2
बातें तो हम हैं करें, करें कहां है काम ।
बैठे बैठे चाहते, जग में होवे नाम ।।
3
ज्ञानी हम सब आज है, अज्ञानी ना कोय ।
ज्ञान खजाना हाथ में, फिर भी काहे रोय ।।
4
चिडि़यां बुनती घोसला, तिनका तिनका जोर ।
दुर्बल हो काया भले, मन कोे रखे सजोर ।।
5
चिटी चढ़े दीवार पर, चाहे फिसलन होय ।
गिर गिर सम्हले है जरा, जानेे है हर कोय ।।
6
ढोती चिटियां काष्ठ को, चलती हैं जब संग ।
एक अकेला एक है, चाहे रहे मतंग ।।
7
बुनती हैं मधुमक्खियां, मिलकर छत्ता एक ।
बूंद-बूंद से घट भरा, छलके मधुरस देख ।।
8
जाने तुम हर बात को, पर माने ना एक ।
इंसा हो या दैत्य हो, अपने अंतस देख ।।
रोटी में होेते नहीं, ढूंढे जो तुम स्वाद ।
होय स्वाद तो भूख में, दिखे नही अपवाद ।।
2
बातें तो हम हैं करें, करें कहां है काम ।
बैठे बैठे चाहते, जग में होवे नाम ।।
3
ज्ञानी हम सब आज है, अज्ञानी ना कोय ।
ज्ञान खजाना हाथ में, फिर भी काहे रोय ।।
4
चिडि़यां बुनती घोसला, तिनका तिनका जोर ।
दुर्बल हो काया भले, मन कोे रखे सजोर ।।
5
चिटी चढ़े दीवार पर, चाहे फिसलन होय ।
गिर गिर सम्हले है जरा, जानेे है हर कोय ।।
6
ढोती चिटियां काष्ठ को, चलती हैं जब संग ।
एक अकेला एक है, चाहे रहे मतंग ।।
7
बुनती हैं मधुमक्खियां, मिलकर छत्ता एक ।
बूंद-बूंद से घट भरा, छलके मधुरस देख ।।
8
जाने तुम हर बात को, पर माने ना एक ।
इंसा हो या दैत्य हो, अपने अंतस देख ।।