पढ़े-लिखे युवती युवक, ढूंढ रहें हैं काम ।पढ़ लिख कर सब चाहते, लेना इसका दाम ।।लेना इसका दाम, किये हैं व्यय अतिभारी ।अभियंता की चाह, दिखाते अब लाचारी ।।बनने तक को प्यून, पंक्ति में तैयार दिखे ।बनने को सर्वेंट, सभी ये हैं पढ़े-लिखे ।।-रमेश चौहा...
तुम (मुक्तक)

तुम समझते हो तुम मुझ से दूर हो ।
जाकर वहां अपने में ही चूर हो ।।
तुम ये लिखे हो कैसे पाती मुझे,
समझा रहे क्यों तुम अब मजबूर हो ।।
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कहो ना (मुक्तक)

कहो ना कहो ना मुझे कौन हो तुम ,
सता कर सता कर मुझे मौन हो तुम ।
कभी भी कहीं का किसी का न छोड़े,
करे लोग काना फुसी पौन हो तुम ।।
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पौन-प्राण
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व्यवहार (आल्हा छंद)
हमें चाहिये सेवा करना, मातु-पिता वृद्धो के खास ।
हमें चाहिये बाते करना, मीठी-मीठी लेकर विश्वास ।।
चलना चाहिये सभी जन को, नीति- रीति के जो सद् राह ।
भले बुरे लोग सभी कहते, यह मानव जीवन की चाह ।।
भला लगे कहने सुनने में, बात आदर्श की सब आज ।
बड़ा कठिन हैं परंतु भैय्या, आत्मसात करना यह काज ।
चाहिये चाहिये सब कहते, पर तन मन से जाते हार ।
बात कहे ना...
मुक्तक
1.पीसो जो मेंहदी तो, हाथ में रंग आयेगा ।
बोये जो धान खतपतवार तो संग आयेगा ।
है दस्तुर इस जहां में सिक्के के होते दो पहलू
दुख सहने से तुम्हे तो जीने का ढंग आयेगा ।।
2. अंधियारा को चीर, एक नूतन सबेरा आयेगा ।
राह बुनता चल तो सही तू, तेरा बसेरा आयेगा ।।
हौसला के ले पर, उडान जो तू भरेगा नीले नभ ।
देख लेना कदमो तले वही नभ जठेरा आयेगा ।
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आज और कल (दोहे)
1 .नई पुरानी बात में, किसे कहे हम श्रेष्ठ ।
एक अंध विश्वास है, दूजा फैशन प्रेष्ठ ।। प्रेष्ठ=परमप्रिय
2. तना खड़ा है मूल पर, लगे तना पर फूल ।
रम्य तना का फूल है, जमे मूल पर धूल ।।
3. पानी दे...
भूख (कुण्डलियां)
सही गलत का फैसला, कर ना पाये भूख ।
उदर भरे से काम है, चाहे मिले बदूख ।।
चाहे मिले बदूख, मौत तो भूख मिटाये ।
दुख दायी अति भूख, भूख तो सहा न जाये ।
रो रो कहे ‘रमेश‘ , दीनता की बात यही ।
सब दुख देना नाथ, न देना दुख भूख सही ।।
नाना प्रकार भूख के, होय सभी आक्रांत ।कितने भूखे लोभ के, होय कभी ना शांत ।।होय कभी ना शांत, होय जो तन का भूखा ।उदर क्षुधा को लोग,...
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