‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

Nawakar

Ramesh Kumar Chauhan

शिक्षा में संस्कार हो

शिक्षा में संस्कार हो, कहते हैं सब लोग ।शिक्षा में व्यवहार का, निश्चित हो संजोग ।निश्चित हो संजोग, समझ जीवन जीने का ।सहन शक्ति हो खास, कष्ट प्याला पीने का ।पर दिखता है भिन्न, स्कूल के इस दीक्षा में ।टूट रहा परिवार, आज के इस शिक्षा में ...

कैसे कह दें

कैसे कह दें झूठ में, हमें न तुमसे प्यार । मन अहलादित है मगर, करते कुछ तकरार ।। करते कुछ तकरार प्यार में, खुद को अजमाते । कितना गहरा, हृदय समुन्दर, गोता खाते ।। ढूंढ रहा हूँ, माणिक मोती, यूँ ही ऐसे । मिला नही कुछ, झूठा बनने, कह दें कैसे ...

मैं और मजदूर

//मैं और मजदूर// मैं एक अदना-सा प्रायवेट स्कूल का टिचर और वह श्रम साधक मजदूर । मैं दस बजे से पांच बजे तक चारदीवार में कैद रहता स्कूल जाने के पूर्व विषय की तैयारी स्कूल के बाद पालक संपर्क और वह नौ बजे से दो बजे तक श्रम की पूजा करता इसके पहले और बाद दायित्व से मुक्त । मेरे ही स्कूल में उनके बच्चे पढ़ते हैं जिनका मासिक शुल्क महिने के महिना अपडेट रहता...

कल और आज

//कल और आज// कल जब मैं स्कूल में पढ़ता था, मेरे साथ पढ़ती थी केवल एक लड़की आज मैं स्कूल में पढ़ाते हुये पाता हूँ कक्षा में दस छात्र और बीस छात्रा । कल जब मैं शिक्षक का दायित्व सम्हाला ही था स्कूल में सांस्कृतिक कार्यक्रम कराने हेतु एक छात्रा को सहमत कराने में पसीना आ जाता था और आज एक छात्र को तैयार करने में पसीना क्या खून जलाना पड़ रहा है । कल जब मेरा...

भारत दण्ड़ विधान

भारत दण्ड़ विधान पर, कितनों को विश्वास । हाथ हृदय पर राखिये, फिर बोलें उच्चास । फिर बोलें उच्चास, फँसे हैं तगड़ा-तगड़ा । सच्चा-झूठा दोष, जहां तोड़े हैं रगड़ा  ।। कई कई निर्दोष, भोग भोगे हैं गारत । अपराधी कुछ खास, मुक्त घूमे हैं भारत ...

बाधक

बाधक है विकास डगर, धर्म कर्म का दास । धर्म कर्म के राह पर, बाधक बना विकास । बाधक बना विकास, अंधविश्वासी कहकर । बाधित हुआ विकास, ढोंग-धतुरा को सहकर ।। भौतिकता के फेर, आज दिखते हैं साधक । इसिलिये तो आज, धर्म को कहते बाधक ।। -रमेश चौह...

हां हां फांसी होना ही चाहिए

आज सुबह सुबह अखबार की सुर्खियां देखकर मेरे दादाजी क्रोध से लाल होकर अट्ठास करने लगे बलात्कारियों को फांसी हां हां बलात्कारियों को फांसी होना ही चाहिए केवल मासूमों के बलात्कारियों को ही क्यों सभी बलात्कारियों को फांसी  होना चाहिए हां हां फांसी होना चाहिए झूठे आरोप लगाने वाले को जो दुश्मनी भांजने के लिए किसी पर भी बलात्कार का...

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