ये रिमझिम सावन, अति मन भावन, करते पावन, रज कण को ।
हर मन को हरती, अपनी धरती, प्रमुदित करती, जन जन को ।
है कलकल करती, नदियां बहती, झर झर झरते, अब झरने ।
सब ताल तलैया, डूबे भैया, लोग लगे हैं, अब डरने ।।
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-रमेशकुमार सिंह चौह...
दोहे -रूपया ईश्वर है नही
काम काम दिन रात है, पैसे की दरकार ।
और और की चाह में, हुये सोच बीमार ।।
रूपया ईश्वर है नही, पर सब टेके माथ ।
जीवन समझे धन्य हम, इनको पाकर साथ ।।
मंदिर मस्जिद देव से, करते हम फरियाद ।
अल्ला मेरे जेब भर, पसरा भौतिक वाद ।।
निर्धनता अभिशाप है, निश्चित समझे आप ।
कोष बड़ा संतोष है, मत कर तू संताप ।।
धरे हाथ पर हाथ तू, सपना मत तो देख ।
करो जगत में काम...
मेरे नगर नवागढ़ में बाढ़ का एक दृश्य

गीतिका छंद
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मेघ बरसे आज ऐसे , मुक्त उन्मुक्त सा लगे ।
देख कर चहु ओर जल को, देखने सब जा जुटे ।। नीर बहते तोड़ तट को, अब लगे पथ भी नदी । गांव घर तक आ गया जल, है मची कुछ खलबली ।।
हाट औ बाजार में भी, धार पानी की चली ।
पार...
दोहे
लाभ हानि के प्रश्न तज, माने गुरु की बात ।
गुरु गुरुता गंभीर है, उलझन झंझावात ।।
सीख सनातन धर्म का, मातु पिता भगवान ।
जग की चिंता छोड़ तू, कर उनका सम्मान ।।
पढ़े लिखे हो घोर तुम, जो अक्रांता सुझाय ।
निज माटी के सीख को, तुम तो दिये भुलाय ।।
अपनी सारी रीतियां, कुरीति होती आज ।
परम्परा की बात से, तुमको आती लाज ।।
इतने ज्ञानी भये तुम, पूर्वज...
रहना तुम सचेत (रोला छंद)
मेरे अजीज दोस्त, अमर मै अकबर है तू ।
मै तो तेरे साथ, साथ तो हरपल है तू ।।
रहना तुम सचेत, लोग कुछ हमें न भाये ।
हिन्दू मुस्लिम राग, छेड़ हम को भरमाये ।।
मेरे घर के खीर, सिवइयां तेरे घर के ।
खाते हैं हम साथ, बैठकर तो जी भर के ।।
इस भोजन का स्वाद, लोग वो जान न पाये ।
बैर बीज जो रोप, पेड़ दुश्मनी का लगाये ।। रहना तुम सचेत ....
यह तो भारत देश्ा, लगे...
सर्कस
खेल सर्कस का दिखाये, ले हथेली प्राण को । डोर पथ पर चल सके हैं, संतुलित कर ध्यान जो ।। एक पहिये का तमाशा, जो दिखाता आज है । साधना साधे सफलतम, पूर्ण करता काज है ।। काम जोखिम से भरा यह, पेट खातिर वह करे । अंर्तमन दुख को छुपा कर,हर्ष सबके मन भरे ।। लोग सब ताली बजाते, देख उनके दांव को । आवरण देखे सभी तो, देख पाये ना घाव को ।। ये जगत भी एक सर्कस, लोग...
पहेली बूझ
पहेली बूझ !
जगपालक कौन ?
क्यो तू मौन ।
नही सुझता कुछ ?
भूखे हो तुम ??
नही भाई नही तो
बता क्या खाये ?
तुम कहां से पाये ??
लगा अंदाज
क्या बाजार से लाये ?
जरा विचार
कैसे चले व्यापार ?
बाजार पेड़??
कौन देता अनाज ?
लगा अंदाज
हां भाई पेड़ पौधे ।
क्या जवाब है !
खुद उगते पेड़ ?
वे अन्न देते ??
पेड़ उगे भी तो हैं ?
उगे भी पेड़ !
क्या पेट भरते हैं ?
पेट पालक...
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