नेताजी से एक बार,
पूछ लिया एक पत्रकार ।
हे महानुभाव
तुम्हारे जीतने के क्या हैं राज ?
जनता जर्नादन है
मैं उनका पुजारी
नेताजी कहे सीर झुका कर ।
जलाभिशेक करता
कई बोतल लाल पानी चढ़ाकर ।
भांति भांति के भेट
मैं अपने देव चढ़ाता
अपनी मनोकामना
उनसे कह कह कर ।
हरे हरे फूल पत्र
दानपेटी डालता
उनके डेहरी पर
अपना सीर झुका कर।
पत्रकार से
नेताजी कहे
जरा मुस्कुराकर ।।
.................
-रमेश
पूछ लिया एक पत्रकार ।
हे महानुभाव
तुम्हारे जीतने के क्या हैं राज ?
जनता जर्नादन है
मैं उनका पुजारी
नेताजी कहे सीर झुका कर ।
जलाभिशेक करता
कई बोतल लाल पानी चढ़ाकर ।
भांति भांति के भेट
मैं अपने देव चढ़ाता
अपनी मनोकामना
उनसे कह कह कर ।
हरे हरे फूल पत्र
दानपेटी डालता
उनके डेहरी पर
अपना सीर झुका कर।
पत्रकार से
नेताजी कहे
जरा मुस्कुराकर ।।
.................
-रमेश