अभिनंदन है आपका, हे आगत नव वर्ष ।
मानव मन में हर्ष भर, करना नव उत्कर्ष ।।
करना नव उत्कर्ष, शांति दुनिया में होवे ।
मिटे सभी आतंक, पाप कोई ना बोवे ।।
अपना भारत देश, बने माथे का चंदन ।
हिन्दू मुस्लिम साथ, करे जब नव अभिनंदन ।।
...
मॉ
ध्वनि एक गुंजीत है, जैसे नभ ओंकार ।
जीव जीव निर्जीव में, माॅ माॅ की झंकार ।।
कलकल छलछल है किये, नदियों की जल धार ।
खेल रही माॅ गोद में, करती वह मनुहार ।।
कलकल की हर ध्वनि में, शब्द एक है सार ।
माॅ कण-कण में व्याप्त हो, बांट रही है प्यार ।।
कलरव की हर टेर में, शब्द वही है एक ।
खग नव चीं-चीं बोलती, माॅ भोली अरू...
भारत माॅं वीरों की धरा
भारत माॅं वीरों की धरा, जाने सकल जहान ।
मातृभूमि के लाड़ले, करते अर्पण प्राण ।
करते अर्पण प्राण, पुष्प सम शीश चढाये ।
बन शोला फौलाद, शत्रु दल पर चढ जाये।
पढ़ लो कहे ‘रमेश‘, देश में लिखे इबारत ।
इस धरती का नाम, पड़ा क्यों आखिर भारत ।।
-रमेश चौह...
गीता देती ज्ञान
देह जीव में भेद का, गीता देती ज्ञान ।सतत् कर्म संदेश का, रखो सदा तुम मान ।।
डाल डाल अरु पात में, जीव वही है एक ।रज अरू पाहन में बसे, जीव वही तो नेक ।।
मैं अरु मेरा जा कहे, पड़े हुये हैं मोह ।आत्मा आत्मा एक है, चाहे हो जिस खोह ।।
कर्ता कारक एक है, जो चाहे सो होय ।हम कठपुतली नाचते, नटवर चाहे जोय ।।
-रमेश चौहान...
हे प्रभु दयानिधि, दीन दयाला
हे प्रभु दयानिधि, दीन दयाला
हे भक्त वत्सल, जगत कृपाला
सबुरी के बेर जुठे, आप भोग लगाये ।
विदुरानी के छिलके, आपको सुहाये ।
प्रेम के भूखे प्रभु, प्रेम मतवाला ।। हे भक्त वत्सल, जगत कृपाला
केवट के सखा बने, छाती से लगाये ।
सुदामा के पांव धोये, नयन नीर छलकाये ।
दीनों के नाथ प्रभु, दीनन रखवाला ।। हे भक्त वत्सल, जगत कृपाला
श्रद्धा के भोग गहो, यहां तो आके...
मृत्यु का शोक क्यों ?
अटल नियम तो एक है, जो आये सो जाय ।
इसी नियम पर जीव तो, जीवन काया पाय ।।
नश्वर केवल देह है, जीव रहे भरमाय ।
देह जीव होते जुदा, हम तो समझ न पाय ।।
गीता के उस ज्ञान को, हम तो जाते भूल ।
अमर रहे आत्मा सदा, होते देह दुकूल ।।
देह देह को जानते, एक मात्र तो देह ।
जाने ना वह जीव को, जिससे करते नेह ।।
हम सब रोते मौत पर, कारण केवल एक ।
देह दिखे है आंख...
भजन- बासुरिया ओ........ बासुरिया
बासुरिया ओ........ बासुरिया
बासुरिया तू धन्या , खूब बजती ।
लब लिपटी कान्हा के, मोहे जगती ।
बासुरिया ओ........ बासुरिया
तू ताल छेड़े राग छेड़े, छेड़े रागनी ।
सुन सांझ जगे चांद जगे, जगे चांदनी ।
बासुरिया ओ........ बासुरिया
पेड़ सुने, जंगल सुने, सुने बस्ती ।
कदम झूमे, युमना झूमे, झूमे कश्ती ।।
बासुरिया ओ........ बासुरिया
कान्हा चले, ग्वालन छेड़े,...
कौन धर्म निरपेक्ष है
राजनीति के फेर में, बटे हुये हैं लोग ।
अपने अपने स्वार्थ में, बांट रहें हैं रोग ।।
कौन धर्म निरपेक्ष है, ढूंढ रहा है देश ।
वह लाॅबी इस्लाम का, यह हिन्दू का वेश ।।
वह हत्यारा सिक्ख का, जाने सारा देश ।
यह हत्यारा गोधरा, कैसे जाये क्लेश ।।
बने धर्मनिरपेक्ष वह, टोपी एक लगाय ।
दूजे को पूछे नही, नाम लेत शरमाय ।।
छाती छप्पन इंच...
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