‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

Nawakar

Ramesh Kumar Chauhan

गजल-जब से दौलत हमारा निशाना हुआ

जब से दौलत हमारा निशाना हुआ तब से ये जिंदगी कैद खाना हुआ । पैसे के नाते रिश्‍ते दिखे जब यहां अश्‍क में इश्‍क का डूब जाना हुआ । दुख के ना सुख के साथी यहां कोई है मात्र दौलत से ही जो यराना हुआ । स्वार्थ में कुछ भी कर सकते है आदमी उनका अंदाज अब कातिलाना हुआ । गैरो का ऊॅचा कद देखा जब आदमी छाती में सांप का लोट जाना हुआ । रेत सा तप रहा बर्फ सा जम...

सरस्वती वंदना (गीतिका)

हे भवानी आदि माता, व्याप्त जग में तू सदा । श्‍वेत वर्णो से सुशोभित, शांत चित सब से जुदा ।। हस्त वीणा शुभ्र माला, ज्ञान पुस्तक धारणी । ब्रह्म वेत्ता बुद्धि युक्ता, शारदे पद्मासनी ।। हे दया की सिंधु माता, हे अभय वर दायनी । विश्‍व ढूंढे ज्ञान की लौ, देख काली यामनी ।। ज्ञान दीपक मां जलाकर, अंधियारा अब हरें । हम अज्ञानी है पड़े दर, मां दया हम पर करें...

दोहावली -

दोहावली - रूकता ना बलत्कार क्यों, कठोर विधान होय । चरित्र भय से होय ना, गढ़े इसे सब कोय ।। जन्म भये शिशु गर्भ से, कच्ची मिट्टी जान । बन जाओ कुम्हार तुम, कुंभ गढ़ो तब शान ।। लिखना पढना क्यो करे, समझो तुम सब बात । देश धर्म का मान हो, गांव परिवार साथ ।। पुत्र सदा लाठी बने, कहते हैं मां बाप । उनकी इच्छा पूर्ण कर, जो हो उनके आप ।। -रमेशकुमार सिंह...

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