‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

सत्यमेव जयते (छप्पय छंद)

सत्य नाम साहेब, शिष्य कबीर के कहते ।
राम नाम है सत्य, अंत पल तो हम जपते ।।
करें सत्य की खोज, आत्म चिंतन आप करें ।
अन्वेषण से प्राप्त, सत्य को ही आप वरें ।।
शाश्वत है सत्य नष्वर जग, सत्य प्रलय में षेश है ।
सत्यमेव  जयते सृश्टि में, शंका ना लवलेष है ।।

असत्य बन कर मेघ, सत्य रवि ढकना चाहे ।
कुछ पल को भर दंभ, नाच ले वह मनचाहे ।।
मिलकर राहू केतु, चंद्र रवि को कब तक घेरे ।
चाहे हो कुछ देर, अंत जीते सत तेरे ।।
सत्य सत्य ही तो सत्य है, सत बल सृष्टि विशेषहै ।
सत्यमेव  जयते सृशष्टि में, शंका ना लवलेश है ।।

पट्टी बांधे आंख, ढूंढ़ते सत को मग में ।
अंधेरे का साथ, निभाते फिरते जग में ।।
उठा रहे हैं प्रश्न, कौन सच का साथी है ।
कहां जगत में आज, एक भी सत्यवादी है ।।
सत्यवादी तो खुद आप है, तुम में जो सच शेष है ।
सत्यमेव  जयते सृष्टि में, शंका ना लवलेश है ।।

Blog Archive

Popular Posts

Categories