‘नवाकार’

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है,विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

Nawakar

Ramesh Kumar Chauhan

‘नवाकार’ हिन्दी कविताओं का संग्रह है

विशेषतः शिल्प प्रधन कविताओं का संग्रह है जिसमें काव्य की सभी विधाओं/शिल्पों पर कविता प्राप्त होगीं । विशषेकर छंद के विभिन्न शिल्प यथा दोहा, चौपाई कवित्त, गीतिका हरिगीतिका, सवैया आदि । जपानी विधि की कविता हाइकु, तोका, चोका । उर्दु साहित्य की विधा गजल, मुक्तक आदि की कवितायें इसमें आप पढ़ सकते हैं ।

प्रीत के दोहे

मेहंदी तेरे नाम की, रचा रखी है हाथ ।
जीना मरना है मुझे, अब तो तेरे साथ ।।

रूठी हुई थी भाग्य जो, मोल लिया जब शूल ।
तेरे कारण जगत को, मैंने समझी धूल ।।

तेरी मीठी बात से, हृदय गई मैं हार ।
तेरी निश्चल प्रीत पर, तन मन जाऊॅ वार ।।

देखा जब से मैं तुझे, सुध बुध गई विसार ।
मीरा बन मैं श्याम पर, सब कुछ किया निसार ।।

खोले सारे भेद को, मेरे दोनों नैन ।
नहीं नुपुर भी मौन है, बोले मीठी बैन ।।

लोकतंत्र का कमाल देखो (सार छंद)

 लोकतंत्र का कमाल देखो, हमसे मांगे नेता ।
झूठे सच्चे करते वादे, बनकर वह अभिनेता ।।

लोकतंत्र का कमाल देखो, रंक द्वार नृप आये ।
पाॅंच साल के भूले बिसरे, फिर हमको भरमाये ।।

लोकतंत्र का कमाल देखो, नेता बैठे उखडू ।
बर्तन वाली के आगे वह, बने हुये है कुकडू ।।

लोकतंत्र का कमाल देखो, एक मोल हम सबका ।
ऊॅंच नीच देखे ना कोई, है समान हर तबका ।।

लोकतंत्र का कमाल देखो, शासन है अब अपना ।
अपनों के लिये बुने अपने, अपनेपन का सपना ।।


े.

चुनावी दोहे

लोकतंत्र के राज में, जनता ही भगवान ।
पाॅंच साल तक मौन रह, देते जो फरमान ।

द्वार द्वार नेता फिरे, जोड़े दोनो हाथ ।
दास कहे खुद को सदा, मांगे सबका साथ ।।

एक नार थी कर रही, बर्तन को जब साफ ।
आकर नेता ने कहा, करो मुझे तुम माफ ।

काम पूर्ण कर ना सका, जो थी मेरी बात ।
पद गुमान के फेर में, भूल गया औकात ।।

निश्चित ही इस बार मैं, कर दूंगा सब काज ।
समझ मुझे अब आ गया, तुमसे मेरा ताज ।।

एक मुठ्ठी की भांति (तांका)

1.
क्यों भूले तुम ?
अपनी मातृभाषा
माॅं का आॅंचल
कभी खोटा होता है ?
खोटी तेरी किस्मत ।

2.
दूर के ढोल
मधुर लगे बोल
नभ में सूर्य
धरातल से छोटा
बहुत सुहाना है ।

3.
आतंकवाद
धार्मिक कट्टरता
नही सीखाता
बाइबिल कुरान
हिन्द का गीता पुराण ।

4.
स्वीकार करें
दूसरो का सम्मान
क्यों थोपते हो ?
पंथ धर्म विचार
सभी खुद नेक हैं ।

5.
गरज रहा
आई.एस.आई.ई
सचेत रहे
हिन्दू मुस्लिम एक
एक मुठ्ठी की भांति ।

छोड़ो झगड़ा नाम का

छोड़ो झगड़ा नाम का, ईश्वर अल्ला एक ।
खुदा की खुदाई भली, प्रभु की प्रभुता नेक ।।

धर्म धरे विश्वास से, सभी धर्म है नेक ।
कट्टरता के शूल से, मानव पथ ना छेक ।।

मानवता के राह चल, आप मनुष्य  महान ।
दीन हीन को साथ ले, गढ़ लें रम्य जहान ।।

दीन हीन सब तृप्त हो, सुख मय हो दिन रैन ।
भेद भाव अब खत्म हो, मिले सभी को चैन ।।

अपनी सेवा आप कर, निज रूप को पहचान ।
कहते फिरते क्यो भला, कण कण में भगवान ।।



बंधन

मृत्युलोक माया मोह अमर । मोह पास ही जग लगे समर
लोग कहे यह मेरा अपना । संत कहे जगत एक सपना

जीते जो जग में यह माया । मिट्टी समझे अपनी काया
स्वार्थ के सब रिश्ते नाते । स्नेही जीवन अनमोल बनाते

आसक्ति प्रीत में भेद करें । कमल पत्र सा निर्लिप्त रहे
है अनमोल प्रीत का बंधन । रहे सुवासित जैसे चंदन

कब समझेगा मर्म रे

हिन्दू मुस्लिम राग, छोड़ दे रे अब बंदे ।
कट्टरता को छोड़, छोड़ सब गोरख धंधे ।।
धर्म पंथ का काज, करे पावन तन मन को ।
पावन पवित्र स्नेह, जोड़ती है जन जन को ।।
राग द्वेष को त्याग कर अब, कर ले सब से प्रेम रे ।
मानव मानव सब एक है, कब समझेगा मर्म रे ।।

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