गणेश वंदना
दोहा -
जो गणपति पूजन करे, ले श्रद्धा विश्वास ।
सकल आस पूरन करे, भक्तों के गणराज ।।
चौपाई
हे गौरा गौरी के लाला । हे लंबोदर दीन दयाला । ।
सबसे पहले तेरा सुमरन । करते हैं हम वंदन पूजन ।।1।।
हे प्रभु प्रतिभा विद्या दाता । भक्तों के तुम भाग्य विधाता
वेद पुराण सभी गुण गाये। तेरी महिमा अगम बताये ।।2।।
पिता गगन अरू माता धरती । ज्ञान प्रकाश दिये प्रभु जगती
मातु-पिता तब मगन हुये अति । बना दिये तुम को गणाधिपति।3।
भक्त नाम जो तेरे ले कर । चलते रहते मंजिल पथ पर
काज सभी निर्विध्न सफल हो। पथ के बाधा सब असफल हो।4।
वक्रतुण्ड़ हे देव गजानन । मूषक वाहन लगे सुहावन
जय जय लंबोदर जग पावन । रूप मनोहर तेरा मन भावन । 5।
मां की ममता तुझको भावे । तुझको मोदक भोग रिझावे
बाल रूप बालक को भाये । मंगल मूर्ति सदा मन भाये ।6।
एकदन्त हे कृपा कीजिये । सद्विचार सद्बुद्धि दीजिये ।
हे गणनायक काम संवारे। जय जय गणपति भक्त पुकारे ।।7।।
हे मेरे आखर के देवता । स्वीकारे गणपति यह न्योता
मेरा वंदन प्रभु स्वीकारें । दुश्कर जग से मुझे उबारें ।।8।।
अपने पूर्वज अरू माटी का । अपने जंगल अरू घाटी का
गाथा गाऊँ सम्मान सहित । सदा रहूॅ मै अभिमान रहित।9।
सारद नारद यश को गाते । हे गणनायक तुझे मनाते ।
रिद्धी सिद्धी के प्रभु दाता । सब दुख मेटो भाग्य विधाता ।10।
दोहा-
शरण गहे जो आपके, उनके मिटे क्लेष ।
विध्न हरण प्रभु आप को, वंदन करे ‘रमेश‘ ।।
दोहा -
जो गणपति पूजन करे, ले श्रद्धा विश्वास ।
सकल आस पूरन करे, भक्तों के गणराज ।।
चौपाई
हे गौरा गौरी के लाला । हे लंबोदर दीन दयाला । ।
सबसे पहले तेरा सुमरन । करते हैं हम वंदन पूजन ।।1।।
हे प्रभु प्रतिभा विद्या दाता । भक्तों के तुम भाग्य विधाता
वेद पुराण सभी गुण गाये। तेरी महिमा अगम बताये ।।2।।
पिता गगन अरू माता धरती । ज्ञान प्रकाश दिये प्रभु जगती
मातु-पिता तब मगन हुये अति । बना दिये तुम को गणाधिपति।3।
भक्त नाम जो तेरे ले कर । चलते रहते मंजिल पथ पर
काज सभी निर्विध्न सफल हो। पथ के बाधा सब असफल हो।4।
वक्रतुण्ड़ हे देव गजानन । मूषक वाहन लगे सुहावन
जय जय लंबोदर जग पावन । रूप मनोहर तेरा मन भावन । 5।
मां की ममता तुझको भावे । तुझको मोदक भोग रिझावे
बाल रूप बालक को भाये । मंगल मूर्ति सदा मन भाये ।6।
एकदन्त हे कृपा कीजिये । सद्विचार सद्बुद्धि दीजिये ।
हे गणनायक काम संवारे। जय जय गणपति भक्त पुकारे ।।7।।
हे मेरे आखर के देवता । स्वीकारे गणपति यह न्योता
मेरा वंदन प्रभु स्वीकारें । दुश्कर जग से मुझे उबारें ।।8।।
अपने पूर्वज अरू माटी का । अपने जंगल अरू घाटी का
गाथा गाऊँ सम्मान सहित । सदा रहूॅ मै अभिमान रहित।9।
सारद नारद यश को गाते । हे गणनायक तुझे मनाते ।
रिद्धी सिद्धी के प्रभु दाता । सब दुख मेटो भाग्य विधाता ।10।
दोहा-
शरण गहे जो आपके, उनके मिटे क्लेष ।
विध्न हरण प्रभु आप को, वंदन करे ‘रमेश‘ ।।